बड़ागांव की गोशाला में चरही पर भूसे की जगह भरा मिला गोबर
बांदा, के एस दुबे । जसपुरा ब्लॉक के बड़ागांव में गोवंशों को संरक्षित करने के नाम पर जमकर गोलमाल किया जा रहा है। गोवंश जंगल में चराए जाते हैं और उनके हक की मिलने वाली धनराशि को हजम कर लिया जाता है। गौशाला कर्मचारियों ने बताया कि मैं 5 सालों से लगातार गोवंशों को बाहर चराने ले जाता है। विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा जिला अध्यक्ष महेश कुमार प्रजापति अपनी टीम के साथ जसपुरा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़ागांव में जब गौशाला में देखा गया कि गोवंश एक भी नहीं था जब वहां पर जानकारी की गई ग्रामीणों ने बताया कि गोवंशों
![]() |
| चरही में भरा गोबर |
को हमेशा गौशाला से बाहर चराने ले जाया जाता है जंगलों में। जब हमारी टीम जहां पर गोवंशों को चढ़ाया जाता था वहां पहुंचकर देखा कि जो ग्रामीणों ने बताया था कि गोवंशों को बाहर चाराया जाता है लेकिन वह बात सच निकली और हमने स्वयं देख की गोवंशों को जंगलों में चढ़ाया जाता है वहां पर गोवंश सिर्फ चराने के बल पर ही अपना पेट भर रहा है। जब गौशाला कर्मचारियों से पूछा गया कि आप गोवंशों को चलाने क्यों ले जाते हैं कर्मचारियों ने बताया कि हम लोगों को आदेश मिलता है कि आप गोवंशों को बाहरी ले जाओ क्योंकि गोवंश से यहां पर स्वयं अपना पेट
![]() |
| जंगल में घास चरते गोवंश। |
भर रहा है। गौशाला में सिर्फ एक छोटी सी टंकी बनी हुई है पानी वाली जिसमें इतना गंदा पानी लग रहा था कई सालों से नहीं साफ किया गया और उसमें कीड़े भी पड़ चुके थे। एक छोटी सी खाने वाली चरही भी बनी हुई थी जिस पर पूर्ण रूप से गोबर भरा हुआ था। जबकि शासन की ओर से प्रति गोवंशों को भरण पोषण के लिए 1500 प्रति महीना गोवंश को दिया जाता है।



No comments:
Post a Comment