घर से बेघर हुए दलित परिवार
वन विभाग ने गरीबों के सपने रौंदे
मनमानी से फूटा गरीबों का आक्रोश
मानिकपुर/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । तहसील के ग्राम पंचायत गढ़चपा मजरा पहरतरा पुरवा में वन विभाग की कार्रवाई ने प्रशासनिक संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी हैं। यहां अनुसूचित जाति के गरीब परिवार, जो तीन पीढ़ियों से अपने पुश्तैनी कच्चे मकानों में रह रहे थे, आज वन विभाग की मनमानी का शिकार बन गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि रैपुरा रेंज के वन दरोगा और उनकी टीम लगातार उन्हें उनके ही घरों से बेघर करने में जुटी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि हरि, रामलाल, रामखेलावन, बिहारीलाल और खेतईया जैसे गरीब परिवार दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं। इन परिवारों का कहना है कि अब वन विभाग उन्हें धमकाकर हटाने की कोशिश कर
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| क्षतिगस्त मकान के साथ पीडित |
रहा है। गांव में गुस्सा साफ झलक रहा है, लोग पूछ रहे हैं कि आखरि किसके आदेश पर गरीबों की छतें तोड़ी जा रही हैं? ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन दरोगा रामअवतार अपनी मनमानी पर उतर आए हैं और बिना किसी वैध आदेश के कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिलाधिकारी और वन विभाग के उच्च अधिकारियों से न्याय और पुनर्वास की गुहार लगाई है। हालांकि वन दरोगा रामअवतार ने आरोपों से इंकार किया है। उनका कहना है कि छेदीलाल का पुराना मकान बारिश में गिर गया था और उन्होंने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारी को दे दी है। लेकिन ग्रामीण इसे सफाई नहीं, बल्कि बहाना बता रहे हैं। सवाल अब यह है कि क्या गरीबों की पुश्तैनी जमीन पर सत्ता की दबंगई का यही वन कानून है?
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