रिटायर्ड आईपीएस की पहल पर मानवाधिकार आयोग में मामला दर्ज
सीजेएम के आदेश पर न्यायिक और डीएम के निर्देश पर मजिस्ट्रेटियल जांच जारी
बांदा, के एस दुबे । मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सीजेएम के आदेश पर न्यायिक और डीएम के निर्देश पर मजिस्ट्रेटियल जांच जारी है। वहीं इस मामले पर सेवानिवृत्त आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की पहल पर मानवाधिकार आयोग में भी केस दर्ज हो गया है। हालांकि मानवाधिकार आयोग के समक्ष जेल अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। बांदा जिला जेल में बंद रहे माफिया डान मुख्तार अंसारी की मौत पर गठित दो जांच कमेटियां सक्रिय हो गई हैं। जहां एक ओर सीजेएम भगवानदास गुप्ता के आदेश पर न्यायिक जांच अधिकारी एसीजेएम प्रथम गरिमा सिंह ने मंडल कारागार पहुंचकर जांच तेज कर दी है। सूत्रों की मानें तो एसीजेएम प्रथम गरिमा सिंह ने जेल पहुंचकर जेल प्रशासन की मौजूदगी में जांच प्रक्रिया शुरू कर
कारागार परिसर में खड़ी जांच अधिकारी की गाड़ी |
दी है। सभी बिंदुओं का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद वह जेल के स्टाफ से पूछताछ भी कर सकती हैं। जबकि जेल में स्थित मुख्तार की बैरक नंबर 16 को पहले ही सील किया जा चुका है, ताकि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न की जा सके। वहीं मजिस्ट्रेटीयल जांच अधिकारी अपर जिलाधिकारी राजेश कुमार ने भी 15 अप्रैल तक संबंधित व्यक्तियों से लिखित, मौखिक अभिकथन, साक्ष्य या बयान प्रस्तुत करने को बुलाया है। इधर, मंडल कारागार में निरुद्ध माफिया डान पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की 28 मार्च की रात हार्टअटैक (कार्डियक अरेस्ट) से मौत हो गई थी। मौत के बाद जहां प्रशासनिक अमला सकते में आ गया था, वहीं समाजसेवी संगठनों से लेकर राजनीतिक दलों तक ने माफिया की मौत को संदिग्ध बताया और मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग बुलंद की। उधर माफिया के परिजनों ने भी जेल प्रशासन पर हत्या का षड़यंत्र रचने का आरोप लगाया था। इसके पहले माफिया मुख्तार ने बाराबंकी की अदालत में वकील के जरिए प्रार्थना पत्र देकर जेल प्रशासन पर भोजन में साथ स्लो प्वाइजन देने का गंभीर आरोप लगाया था। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी मानवाधिकार आयोग को शिकायत भेजकर संदिग्ध मौत की बिंदुवार जांच कराने की मांग उठाई थी। शिकायत में श्री ठाकुर ने कहा था कि जब मुख्तार और उसके परिजन हत्या का षड़यंत्र रचने का आरोप लगा रहे थे और मुख्तार लगातार अपनी तबियत खराब होने की बात कह रहा था, तो उसे अस्पताल में रखकर समुचित उपचार मिलना चाहिए था। जबकि मौत के दो दिन पहले बीमार होने पर प्रशासन उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज में भर्ती तो कराया लेकिन उपचार के बाद उसे वापस जेल भेज दिया गया। जिसके बाद 28 मार्च को उसकी तबीयत और अधिक खराब हो गई और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। श्री ठाकुर का कहना है कि मामले में कई ऐसे तथ्य हैं, जिससे मौत का मामला संदिग्ध प्रतीत होता है। मानवाधिकार आयोग ने श्री ठाकुर की शिकायत और जेल अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर केस संख्या 6183/24/12/2024 जेसीडी दर्ज कर लिया है। जांच प्रक्रिया तेजी के साथ जारी है।
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