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Sunday, June 23, 2024

प्रशिक्षण में विशेषज्ञों ने मस्तिष्क विकास व संवेदनशील परवरिश पर दिया जोर

बच्चे स्वाभाविक रूप से नई चीजों की खोज व समझ में रखते रुचि : डॉ. रघुनाथ

फतेहपुर, मो. शमशाद । जीवन के प्रथम 1000 दिवस की चार दिवसीय तकनीकि प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हो गया। प्रशिक्षण कार्यशाला का  समापन मुख्य चिकित्साधिकारी स्वास्थ्य डा. इश्तियाक अहमद एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास पुष्टाहार विभाग साहब यादव की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यशाला में प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान संवेदनशील परवरिश एवं मस्तिष्क विकास हेतु सीखने के अवसरों को बढ़ाने से संबंधित विषयों पर विभिन्न  विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए गए साथ ही विकसित भारत की संकल्पना को पूर्ण करने के लिए मानव संसाधन विकास की रणनीतियों अंतर्गत जिले के पांच ब्लॉकों तेलियानी, भिटौरा, मलवां, हसवा और आकांक्षात्मक ब्लॉक हथगाम से आए प्रतिभागियों को वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एजूकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाओं एवं साथ ही 0-2 वर्ष के बच्चों के देखभालकर्ताओं को प्रारंभिक बाल्यावस्था में संवेदनशील देखभाल, सीखने के  अवसरों को बढ़ाने के बारे में उन्नत जानकारी प्रदान करना है।

तकनीकि प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर उपस्थित लोगों को समझाते प्रशिक्षक।

समापन पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. इश्तियाक अहमद ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षण में आये समस्त प्रतिभागियों से कहा कि इस प्रशिक्षण श्रृंखला में तीन पृथक-पृथक बैचों में लगभग 185 मुख्य प्रशिक्षकों को तैयार किया जा रहा है जो  इस प्रशिक्षण के उपरान्त सम्पूर्ण ज़िले के लगभग 6 हजार से अधिक जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। तकनीकि प्रशिक्षक की मुख्य भूमिका निभा रहे प्रभारी चिकित्साधिकारी पोषण पुनर्वास केंद्र जिला अस्पताल से डॉ. रघुनाथ सिंह ने अपने सत्र के दौरान बताया कि एक नवजात शिशु मस्तिष्क में लगभग 100 अरब न्यूरॉन्स के साथ जन्म लेता है। जन्म के बाद, शिशु के मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के बीच सिनैप्टिक कनेक्शन तेजी से बनते हैं। पहले कुछ वर्षों में, यह संख्या उच्चतम स्तर तक पहुँच जाती है, जो कि बाद में अनुभव व सीखने के अवसरों के आधार पर कुछ कम हो जाती है। मेडिकल कालेज के सह आचार्य डा प्रज्ञाश्री ने अनीमिया एवं कुपोषण से जूझ रही महिलाओं को विशेष प्राथमिकता देने पर जोर दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र के दौरान राज्य प्रमुख साक्षी पवार, जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग, विषय विशेषज्ञ पोषण एवं स्वास्थ्य सोनल रूबी राय, विषय विशेषज्ञ प्रारंभिक बाल्य विकास आर्यन कुशवाहा, परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज एवं अनामिका पांडेय द्वारा समस्त विभागीय अधिकारियों एवं समस्त ब्लाकों से आये प्रतिभागियों के सक्रीय योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।


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