अतर्रा और नरैनी क्षेत्र के कई गांवों में कार्यक्रमों का किया गया आयोजन
बाढ़ से कैसे करें बचाव, सर्पदंश के बाद क्या करें, ग्रामीणों को बताया
बांदा, के एस दुबे । राजधानी लखनऊ से आई एनडीआरएफ की टीम जहां बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर रही है वहीं गांवों और तहसीलों में शिविरों का आयोजन करते हुए ग्रामीणों को आपदाओं से निपटने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीणों को यह भी बताया जा रहा है कि बाढ़ के दौरान क्या करें, सर्प दंश के बाद झाड़फूंक के चक्कर में न पड़ते हुए तत्काल अस्पताल जाने की बात बताई जा रही है। शिविर में यह भी बताया जा रहा है कि बाढ़ से होने वाले नुकसान के बाद शासन के द्वारा आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाएगी। अतर्रा क्षेत्र के ग्राम हस्तम सहित आधा दर्जन गांवो में एनडीआरएफ टीम के द्वारा समूह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लखनऊ से आई हुई एनडीआरएफ टीम के कमांडर अजय सिंह ने अपनी 10 सदस्यीय टीम व राजस्व निरीक्षक मोहनलाल, लेखपाल राकेश कुमार, धर्मेंद्र गुप्ता, रमेश चौरसिया, के साथ ग्राम हस्तम, तेरा- ब, गुमाई,
ग्रामीणों को जागरूक करते एनडीआरएफ टीम के सदस्य |
खमौहरा, महुटा, सहित आदि गांव में समूह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीणों को जागरूक किया। इसमें उन्होंने आपदाओं से निपटने, सरकार द्वारा आपदा में होने वाले नुकसान से मिलने वाली सहायता के बारे में अवगत कराया। एनडीआरएफ टीम के सदस्यों द्वारा आग से बचने, आकाशीय बिजली एवं हार्ट अटैक होने पर सीपीआर देकर लोगों की जान बचाने के तरीके के बारे में जानकारी दिया। एनडीआरएफ टीम के कमांडर निरीक्षक अजय सिंह ने तहसील सभागार पर उपजिलाधिकारी रावेंद्र सिंह के साथ बैठक कर क्षेत्र की जानकारी हासिल किया। इस दौरान तहसीलदार रामचंद्र, कानूनगो, लेखपाल सहित आदि मौजूद रहे। इधर, नरैनी तहसील सभागार में एनडीआरएफ के कमांडर अजय सिंह द्वारा दैवीय आपदा से बचाव के तरीके बताए। प्रशिक्षण में सर्प दंश के बारे में कहा कि झाड़ फूंक के चक्कर में मत पड़े सर्प दंश में घाव को साफ कर मध्यम ढीला कपड़ा बांधकर नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया। पानी के ड्रम से राफ्ट तैयार करने की विधि बताई गई। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ग्राम कोलावल रायपुर में एनडीआरएफ की टीम सहित सभी लेखपाल गांव जाकर भौतिक रूप से रणनीति बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक समस्त लेखपाल अन्य तहसील कर्मियों के अलावा दर्जनों की संख्या में किसान और ग्रामीण मौजूद रहे।
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