.....खुशियों से झोली भरे, रंगों की बौछार - Amja Bharat

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Sunday, March 9, 2025

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.....खुशियों से झोली भरे, रंगों की बौछार

शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की हुई साप्ताहिक काव्य गोष्ठी

फतेहपुर, मो. शमशाद । शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 375 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के महंत स्वामी रामदास उपस्थित रहे। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा कि मातु सरस्वती, वंदना, अर्पित अक्षत फूल। बुद्धि-चित्त निर्मल करो, वाणी हो अनुकूल।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया मंगलमय सबके लिए, हो होली त्योहार। खुशियों से झोली भरे, रंगों की बौछार।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया एक बार फिर हो ले होली,हंस दे यौवन भोला। रंग लें सभी वसंती रंग में अपना-अपना चोला।। दिनेश कुमार

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साप्ताहिक काव्य गोष्ठी में भाग लेते साहित्यकार।

श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया प्रेम भक्ति का पर्व है, पौराणिक आह्लाद। छल कर जल गई होलिका, बचे भक्त प्रह्लाद।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये बुलेट लगी बौछार रंग की, लाइसेंसी गन पिचकारी। बुरा न मानो होली कह, गोरी की चूनर रंग डारी।। विनय कुमार दीक्षित ने काव्यपाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार से शब्द दिए यह जगत है मोह माया, चंद दिन तेरे यहां पर। एक दिन जाना पड़ेगा, छोड़ कर सब इस धरा पर।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किए होली ऐसी खेलिए, प्रीति-हर्ष के रंग मन-आंगन, चोली-चुनर, संग भींगें सब अंग।। कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।


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