संत साहित्य व संस्कृत की हुई जय-जयकार
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । भारतीय संत परंपरा, साहित्य व संस्कृत साधना के दिव्य प्रतीक जगद्गुरु रामानंदाचार्य तुलसीपीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त होने पर दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने उनके आश्रम पहुंचकर हार्दिक बधाई दी और आशीर्वाद ग्रहण किया। ज्ञात हो कि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए स्वामी जी को प्रदान किया गया। इस अवसर पर संस्थान के उप महाप्रबंधक डॉ. अनिल जायसवाल भी उपस्थित रहे।
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| स्वामी जी का अभिनंदन करते अभय महाजन |
महाजन ने कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य दृष्टिहीन होते हुए भी अद्वितीय अंतर्दृष्टि के धनी हैं। उन्होंने वेद, उपनिषद और रामकथा की जो गूढ़ व्याख्या की है, वह न केवल भारत बल्कि वैश्विक साहित्य जगत के लिए अनुपम धरोहर है। कहा कि स्वामी जी की संस्कृत निष्ठा, साहित्य सेवा और आध्यात्मिक तपस्या युगों तक पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उनका जीवन इस बात का साक्षात प्रमाण है कि शारीरिक सीमाएं आत्मा की ऊंचाई को नहीं रोक सकतीं। यह सम्मान न केवल स्वामी जी की साधना को, बल्कि भारतीय संस्कृति और संत परंपरा को विश्वपटल पर गौरवान्वित करने वाला क्षण है।


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