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Monday, November 10, 2025

हैप्पीनेस सेंटर पर सामाजिक जीवन जीने की कला विषय पर हुआ विचार मंथन का आयोजन

कानपुर, प्रदीप शर्मा - काकादेव स्थित हैप्पीनेस सेंटर पर सामाजिक जीवन जीने की कला विषय पर विचार मंथन का आयोजन  सोमवार को किया गया। कार्यक्रम में डॉ उमेश पालीवाल ने कहा कि  समाज में सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही व्यक्तित्व होते हैं हमें नकारात्मक व्यक्तित्व और उनकी सोच को नजर अंदाज करते हुए, दूसरों की लकीर छोटी करने की बजाय अपनी लकीर बड़ी करने पर विश्वास करना चाहिए। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी रतन श्रीवास्तव ने कहा कि समाज सेवा में त्याग सबसे महत्वपूर्ण है, उन्होंने सामाजिक खुशहाली को अंतिम लक्ष्य बताया। रिटायर्ड कर्नल जाहिद सिद्दीकी ने कहा व्यवहार वही करो जो तुम्हें अपने लिए अच्छा लगे। कार्यक्रम की  अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी राजेश ग्रोवर ने कहा समाज सेवा करने के लिए आपको अपने व्यवहार और विचार में बदलाव लाना होगा। संस्थापक डॉ सिधांशु राय के अनुसार सामाजिक कार्य में भी अपना एक विजन होना चाहिए, उन्होंने कहा सामाजिक व्यवहार एवं व्यक्ति में भी सकारात्मक परिवर्तन लाना हमारा


उद्देश्य रहेगा, हर सामाजिक व्यक्ति अच्छा है सिर्फ उसकी सोच और रणनीति अलग हो सकती है । वरिष्ठ पत्रकार अंजनी निगम ने कहा आपके संस्कार ही आपकी पहचान है सामाजिक जीवन में धैर्य एवं पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है। वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ बी एन आचार्य ने कहा व्यवहार में संतुलन बनाए रखना चाहिए। मुस्कुराए यूपी महासचिव डॉ कामायनी शर्मा ने परिस्थितियों को दोष न देते हुए अपना कर्म करने की सलाह दी। वरिष्ठ समाजसेवी गोपाल तुलस्यान ने प्रशंसा का लालच छोड़कर निस्वार्थ सेवा करने की भावना विकसित करने को कहा। कानपुर हेल्थ समिति सचिव डॉ अमरनाथ कश्यप के अनुसार अपने विचारों को दूसरों पर जबरदस्ती नहीं डालने चाहिए। समाजसेवी अखिल त्यागी के अनुसार समाज सेवा में ज्यादा विश्लेषण नहीं करना चाहिए और हमेशा खुश होकर कार्य करें। मां भगवती संस्था सचिव समाजसेवी डॉ अनुराधा सिंह ने संस्थागत उद्देश्य को सर्वोपरि रखने को कहा। वरिष्ठ समाजसेवी अनिल गुप्ता ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार ही संस्था एवं समाज सेवा से जूड़ना चाहिए। प्राचार्य डॉ एम के राजपूत के अनुसार सामाजिक व्यक्तियों को एक दूसरे के सामाजिक कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए। समाजसेवी मनजीत ठुकराल ने समाज सेवा को भी एक कला का नाम दिया। समाजसेवी अमित गुप्ता ने कहा कि सोशल प्लेटफॉर्म का प्रयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए और व्यक्तिगत स्वार्थ के बिना संस्था के प्रति समर्पित रहे, विश्व हिंदू परिषद की शीलू शुक्ला के अनुसार हमेशा मृदुभाषी रहे।

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