शीतलहर के मद्देनजर कृषि विभाग ने किसानों को जारी की एडवाइजरी
बांदा, के एस दुबे । आगामी दिनों में संभावित शीतलहर की स्थिति के दृष्टिगत आवश्यक तैयारी एवं सतर्कता के सम्बन्ध में एडवाइजरी जारी की गई है, जिसके द्वारा जनपद में आगामी दिनों में शीतलहर कड़ाके की ठंड की स्थिति विकसित होने की संभावना है। जिला कृषि अधिकारी संजय कुमार ने जनपद में आच्छादित समस्त फसलों के लिए रक्षात्मक कार्य करने की बात किसानों से कही है। कहा कि सतही और हल्की सिंचाई करें। इसके साथ ही स्प्रिंकलर सिंचाई बेहतर होगी। साथ ही ठंड प्रतिरोधी फसलों की खेती करने की अपील की गई है।
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि रबी फसलों यथा, गेहूं, चना, मटर, मसूर, और सरसों आदि को शीतलहर और पाला से अत्यधिक नुकसान होता है। वातावरणीय तापमान में अत्यधिक गिरावट के कारण रबी फसलों की वृद्धि कम हो जाती है। पत्तियों पर सफेद मूरे धब्बे बन जाते हैं और पत्तियाँ सूख कर झुलस जाती है। जिससे उनमें काला रतुआ सफेद रतुआ, पछेती तुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीत लहर के कारण अकुरण, वृद्धि, पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
बचाव के लिए क्या करें
- ठंड से होने वाली बीमारी के लिए उपधारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोडर्डो मिश्रण या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड, फॉस्फोरस (पी) और पोटैशियम (के) का छिडकाव करें।
- शीतलहर के दौरान जहां भी सम्भव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें। यदि सम्भव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें।
- ठंड प्रतिरोधी पौधों, फसलों/किस्मों की खेती करें। बगवानी और बगीचों में इंटरकॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें।
- टमाटर बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों/अरहर जैसी लंबी फसले ठंडी हवाओं (उंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आश्रय प्रदान करेंगी।
- सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधों को प्लास्टिक द्वारा ढ़ककर अथवा पुआल या सरकडा घास आदि के छप्पर (झुग्गियाँ) बनाकर विकिरण अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है। गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान की जा सकती है।
- जैबिक मल्चिंग (तापीय इन्सुलेशन के लिए)।
विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति को कम करने के लिए)।
-क्या न करें किसान
- रात में सिंचाई न टालें यदि शीतलहर का अनुमान हो तो अंतिम समय तक इंतजार न करें। पानी देर से देने पर लाभ नहीं मिलता और फसल को नुकसान बढ़ सकता है।
- फसल को बिल्कुल सूखा न रहने दें सूखी मिट्टी जल्दी ठंडी होती है जिससे पौधे ठंड से अधिक प्रभावित होते हैं।
- एकदम सुबह-सुबह खेत में काट-छाँट न करें सूर्योदय के तुरन्त बाद पौधे अत्यधिक नाजुक होते हैं ठंड के कारण ऊतक कमजोर रहते हैं, इसलिए किसी प्रकार की जुलाई या गुड़ाई न करें।
- अचानक भारी खाद या नाइट्रोजन न डालें शीतलहर के दौरान नाइट्रोजन डालने से पौधे कोमल हो जाते हैं और अधिक नष्ट होते हैं।
धुआं करने की कोशिश हवा चलने पर न करें।
- नए पौधों या नर्सरी को खुला न छोड़ें।


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