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Saturday, May 11, 2024

बच्चों के विविध कलाओं प्रदर्शन के साथ हुआ व्यक्तित्व विकास शिविर

112 गांव के 250 बच्चे हुए शामिल

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । दीनदयाल शोध संस्थान ने 24 साल से चित्रकूट में प्रतिवर्ष हो रहे व्यक्तित्व विकास शिविरों से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक व वैज्ञानिक गुण विकसित कर प्रतिभाओं को निखारने का कार्य कर रहे हैं। शनिवार को बच्चों के व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से गुरुकुल संकुल में 30 अप्रैल से 11 मई तक व्यक्तित्व विकास शिविर लगाया। शिविर में उप्र-मप्र के छह जिलों व चित्रकूट की 50 किमी परिधि के 112 गांवों के 250 बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया। संगीत, गायन, वादन, नृत्य, डम्बल, लेजिम, चित्रकला, कम्प्यूटर, घोष आदि का प्रशिक्षण लिया। शिविर समापन शनिवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानन्द सभागार में बच्चों की कलाओं के प्रदर्शन के साथ हुआ। शिविर में कक्षा पांच से नौ तक के 10 से 15 वर्ष के बच्चे सहभागी रहे। प्रशिक्षक राधेश्याम बाघमारे की अगुवाई में आकर्षक प्रस्तुतियों ने सभी को प्रभावित किया। गीत की धुन पर योगचाप का प्रदर्शन हुआ। मंचीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गणेश वंदना हुई। समापन में भारत की विविधताओं एकात्म संस्कृति का दर्शन जनसमुदाय ने किया। शिविर अधिकारी देवदत्त तिवारी ने कहा कि शिविर में शारीरिक एवं बौद्धिक के साथ अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षण हुआ।

 शिविर में योगाभ्यास करते छात्र।

दीनदयाल शोध संस्थान संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि अपने अंदर विद्यमान क्षमताओं का आंकलन कर आत्मविश्वास जागृत करिये। नेतृत्व की क्षमता विकसित करें। डीआरआई प्रबंध समिति के सदस्य डॉ ओमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। इससे व्यक्तित्व में बदलाव आते रहते हैं।


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