फतेहपुर, मो. शमशाद खान । दीपावली में बच्चों के लिए जितना महत्व मिठाई का है उससे कम पटाखों और आतिशबाजी का नहीं है। रंग बिरंगी रोशनी से नहाये घरों के सामने और मुडेरों से पटाखे फोड़ना, मिसाइलें छोड़ना और अन्य प्रकार की देशी व चीनी आतिशबाजी का लुत्फ उठाना बच्चें का दीपावली में खास आकर्षण होता है। बच्चों की खुशी में उनके माता पिता से लेकर दादा-दादी तक भाग लेते हैं और इसलिए दीवापली में आतिशबाजी पर ही जनपद में दो करोड़ के करीब की खरीददारी हो जाती है। इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले महंगाई ने पटाखा बाजार पर भी शिकंजा कसा। बीस फीसदी तक कीमतें बढ़ने के बावजूद पटाखा बाजार पूरी तरह सजा संवरा रहा, जहां लोग कई दिनों से खरीदारी कर रहे थे। प्रमुख बाजारों से लेकर कस्बों और गांवों तक में पटाखे और आतिशबाजी की अस्थाई दुकाने सैकड़ों की संख्या में सजी हुई है और दीपावली की खुशी में पटाखे फोड़ने के लिए बच्चे ही नहीं बल्कि युवा और बुजुर्ग भी बच्चों की खुशी की आड़ में जमकर खरीददारी करने के लिए जुटे हुए हैं।
अभिभावकों संग फुलझरियां छुडाते बच्चे। |
हालांकि प्रशासन ने अस्थाई अनुमति देते हुए ऐसे दुकानदारों को अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था के साथ आबादी से दूर दुकान लगाने के लिए निर्देश दे रखे हैं। प्रशासन के निर्देशन में इस बार शहर से बाहर महात्मा गांधी डिग्री कालेज परिसर में दुकानदारों ने अपनी दुकानों को संचालित किया। दीपावली की खुशी में कहीं बारूद का ढेर बनी ये दुकानें किसी बड़ी दुर्घटना का सबब न बन जाए। इसके लिए पुलिस की बराबर चौकसी और निर्देशों का कड़ाई से पालन कराये जाने की जद्दोजहद की। दीपावली की खुशी में विस्फोटकों का प्रयोग परम्परागत ढंग से जारी है और गाहे-बगाहे होने वाली दुर्घटनाओं से प्रशासन भी संजीदा है, इसलिए पटाखे बेंचने वाली दुकानों को आबादी क्षेत्र से बाहर ही रखने पर प्रशासन का पूरा जोर रहा। पटाखा खरीदने वालों की विज्ञान भवन में जमकर भीड़ उमड़ी। देर शाम तक लोग पटाखा खरीदने के लिए महात्मा गांधी डिग्री कालेज में मौजूद रहे।
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