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Tuesday, November 5, 2024

सेवा करना ही मुक्ति का द्वार : आचार्य

अतर्रारोड में करवरिया परिवार की ओर से आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा

बबेरू, के एस दुबे । अतर्रा रोड में करवरिया परिवार की ओर से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। मंगलवार को कथा के तीसरे दिन आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा कि सेवाभाव होना बहुत जरूरी है। सेवा करने से ही मुक्ति का द्वार खुलता है। परिवार, समाज, देश और विश्व में सेवा का ही यश कायम रहता है। इसलिए मन में सेवाभाव रखते हुए सेवा करें। आचार्य ने कहा कि जो सत्कर्म करता है,संस्मरणीय है कि श्रीमनु, भरत, श्रीराम, श्रीकृष्ण, वाल्मीकि, व्यास, भास, कालिदास और श्रतुलसीदास आदि स्वसत्कर्मों से ही सकल लोक में वन्दनीय,

कथा सुनाते आचार्य अभिषेक शुक्ल

कीर्तनीय, अभिनन्दनीय तथा संस्मरणीय हैं। कहा कि जैसे भोजन करने वाले मनुष्य के प्रत्येक ग्रास के साथ सुख,उदर-पोषण और क्षुधा-निवृत्ति-ये तीनों काम एक ही साथ सम्पन्न होते जाते हैं,उसी प्रकार भजन करने वाले पुरुष में भगवतम,परम प्रेमास्पद भगवान् के स्वरूप की स्फूर्ति और सांसारिक सम्बन्धों से वैराग्य-ये तीनों एक साथ ही प्रकट होते चलते हैं। काम, क्रोध तथा लोभ-ये तीनों नरक के द्वार हैं। अप्राप्त पदार्थों की इच्छा करना,अभीष्ट की अप्राप्ति पर अप्रसन्न होना तथा परकीय सम्पदादि प्राप्त करने की आकांक्षा करना-इन तीन दुर्गणों को त्याग देने का
मौजूद श्रोतागण

प्रयत्न करना चाहिए। ध्रुव जी ने भगवान नारायण की दिव्याराधना की जिससे भगवान् ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन प्रदान किया। ध्रुव ने द्वादश श्लोकों में दिव्यतम स्तुति का गायन करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित की है। इस मौके पर कथा आयोजक गयाप्रसाद करवरिया, शैलेंद्र मिश्र, अनूप तिवारी, डॉ. इंद्रनारायण द्विवेदी, राजू मिश्रा, धर्मेंद्र चतुर्वेदी,लल्लन द्विवेदी के अलावा सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।


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