आचार्य ने सुनाई श्रीकृष्ण के जन्म की कथा
मऊ/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास आचार्य संतोष महराज ने कहा कि व्यक्ति को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार ही बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। रविवार को कथा व्यास ने महिलाओं के सम्मान पर कहा कि पत्नी को अपने पति से विवाद नहीं करना चाहिए। कहा कि पत्नी अपने पति के पैरों को दबाकर प्रतिदिन सेवा करती है तो वे लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती है। पति को परमेश्वर के रूप में सेवा व सम्मान करना चाहिए। आचार्य संतोष महराज ने आगे भगवान श्रीकृष्ण
कथा सुनाते आचार्य संतोष आदि। |
के जन्म की कथा सुनाई। कहा कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तब भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ। देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। आकाशवाणी से भगवान के जन्म की सूचना दी गई। भगवान श्रीकृष्ण को वासुदेव ने गोकुल भेज दिया। उन्होंने कंस के अत्याचारों का उल्लेख किया। कंस ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के कई प्रयास किये। हर बार भगवान ने उसकी योजना को नाकाम किया। भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना, बकासुर का वध किया। कंस के कारागार में बंद अपने माता-पिता वासुदेव व देवकी का उद्धार किया। कथा दौरान जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल जयकारों से गूंज उठा। इस मौके पर मुख्य यजमान कनक लता देवी, शिवबाबू केशरवानी आदि श्रोतागण मौजूद रहे।
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