फतेहपुर, मो. शमशाद । बिंदकी तहसील के कानपुर प्रयागराज मार्ग में चौडगरा कस्बे में एक ऐसा दृश्य देखा गया जो आज के बिखरते परिवारों के लिए उदाहरण है। मुजफ्फरनगर के मोघपुर, खतौली के किसान अपनी मां को बग्गी में बैठाकर खुद बैल की तरह खींचते हुए प्रयागराज की ओर चला है। बेटे ने कहा कि उसके घुटने खराब हो गए थे। मां की दुआओं से फिर चलने लगा तो इसलिए मां को लेकर महाकुंभ की यात्रा पर निकल पड़ा। महाकुंभ 2025 में गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी के संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए हर कोई लालायित है। मुजफ्फरनगर के खतौली ब्लॉक के सुदेश पाल मलिक अपनी 95 वर्षीय मां को बग्गी में बैठाकर पैदल कुंभ यात्रा पर निकले हैं। उनका कहना है कि अपनी मां को प्रयागराज में डुबकी लगवाकर लाएंगे। यह सिर्फ महाकुंभ की
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मां को बग्घी में बैठाकर कुंभ प्रयागराज जाता बेटा। |
यात्रा नहीं, बल्कि बिखरते परिवारों में अलग-थलग पड़ते बुजुर्गें की सेवा का बड़ा उदाहरण भी है। इकलौते बेटे 65 साल के किसान सुदेश पाल बताते हैं कि चार साल पहले उसके घुटने खराब हो गए थे। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, वह घर पर रहने लगा। सुबह-शाम मां की सेवा में बिताया और मां उसके पैरों और आंखों के लिए दुआ करती। कुछ दिन बीतने के बाद वह ठीक होने लगा। घुटने ठीक हो गए तो एक साल पहले अपने गांव से 35 किमी दूर शकुतीर्थ की यात्रा पर मां को अपने कंधों पर बैठाकर ले गया था। किसान कहता है कि वह दोबारा चल रहा है तो इसमें मां की दुआओं का असर सबसे ज्यादा है। उनका कहना है कि प्रयागराज पहुंचने में उन्हें 16 से 17 दिन का समय लग सकता है। 26 जनवरी को घर से चले थे। चौडगरा कस्बे के शिवशकर सिंह, अरुण शुक्ला, संगीत सिंह ने किसान के विचारों को सुना और प्रेरणा ली। कहा कि ये कलयुग के श्रवण कुमार है।
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