चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि - परम पूज्य संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा स्थापित श्री सदगुरू नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट द्वारा महाकुंभ में सक्षम संगठन द्वारा आयोजित नेत्र कुंभ में अपनी एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण सहभागिता की है।आपको बता दें प्रयागराज महाकुंभ में जहां देश विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है ,वहीं महाकुंभ में आए सभी श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में भी इस वर्ष सक्षम संगठन द्वारा प्रयागराज में नेत्र कुंभ का आयोजन किया गया था सक्षम संगठन देशभर में दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य करता है।इस आयोजन में सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय को भी नेत्र चिकित्सा के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करने का सुअवसर मिला। प्रयागराज महाकुंभ में नेत्र कुंभ के माध्यम से सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय एवं देशभर के विभिन्न नेत्र चिकित्सालयों के संयुक्त प्रयास से 2,31,313 श्रद्धालुओं का निःशुल्क नेत्र परीक्षण किया गया एवं 1,58,187 श्रद्धालुओं को निःशुल्क चश्मे वितरित किए गए। वहीं इस नेत्र कुंभ में सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय द्वारा लगभग 28000 लोगो का नेत्र परिक्षण किया गया। इसके अलावा सदगुरू नेत्र चिकित्सालय द्वारा प्रयागराज महाकुंभ में रणछोड़
दास नगर, अखिल भारतीय निर्मोही अखाडा, एवं रामायणी कुटी में लगातार नेत्र शिविर लगाकर श्रद्धालुओं का नेत्र परीक्षण किया गया जिसमे लगभग 9000 श्रद्धालुओं का नेत्र परीक्षण किया गया एवं 7,961 श्रद्धालुओं को निःशुल्क चश्मे वितरित किए गए। इसके अलावा लगभग 2000 नेत्र रोगियों को मोतियाबिंद के ऑपरेशन और अन्य जटिल नेत्र रोगों के उत्तम इलाज के लिए सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट रेफर किया गया। नेत्रकुंभ चिकित्सा शिविर में श्रद्धालुओं की अपार भागीदारी और उनके लाभान्वित होने से यह सेवा महाकुंभ के सफल प्रबंधन की एक बड़ी उपलब्धि साबित हुई। वहीं सदगुरू नेत्र चिकित्सालय के प्रशासक डॉ इलेश जैन ने कहा कि इस ऐतिहासिक महाकुंभ में सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय को भी नेत्र कुंभ के माध्यम से महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं का निःशुल्क नेत्र परीक्षण, मोतियाबिंद आपरेशन एवं चश्मा वितरित कर सेवा करने का सौभाग्य मिला ओ हमारे लिए अत्यंत सुखद और अविस्मरणीय है उन्होंने कहा कि महाकुंभ प्रयागराज महाकुंभ न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का संगम बना, बल्कि इस नेत्र कुंभ से चिकित्सा, सेवा और स्वास्थ्य की त्रिवेणी भी रहा।
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