कानपुर, प्रदीप शर्मा - शहर के कोलाहल से दूर ग्रामीण परिवेश मे नगर के नामचीन कवियों ने कविता का ऐसा वातावरण बनाया कि श्रोता न केवल आनंदित होते रहे बल्कि देर तक तालियां बजा कर कवियों का उत्साह वर्धन भी करते रहे. अवसर था सुप्रसिद्ध परशुराम अभिनेता यश शेष पं. गोरेलाल पांडेय की पुण्य स्मृति मे आयोजित काव्योत्सव का. ग्राम- पासी खेड़ा, भीतर गाँव, कानपुर मे आयोजित इस काव्योत्सव की अध्यक्षता पं. उमानाथ पांडेय ने तथा संचालन कवि के. के. बाजपेयी ने किया. कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे श्रीमती शशिकांति बाजपेयी उपस्थित रहीं. काव्योत्सव का शुभारंभ कवयित्री व्यंजना बाजपेयी की वांणी वंदना से हुआ. तत्पश्चात कवि राजेश सिंह ने अपनी
रचना " बेटी सौगात खुशी की, बेटी का सम्मान करो " प्रस्तुत कर वाह-वाही लूटी. कवि अशोक शास्त्री ने अपनी रचना " ये नगर, ये डगर, ये गली कह रही, ये पवन, ये सुमन, ये कली कह रही, तुम जहां भी रहो, खुश रहो तुम वहां, हाथ जोडे हुये अंजुली कह रही " प्रस्तुत कर वातावरण संवेदनशील बना दिया. कवयित्री व्यंजना बाजपेयी ने अपने ओजस्वी काव्य- पाठ से खूब तालियां बटोरीं. प्रियंका पांडेय की रचना भी बहुत सराही गयी. इस अवसर पर शिक्षा विद् राज कुमार सचान, धर्मैन्द्र मिश्र, अवधेश पांडेय, शिव किशन सविता, राज कुमार मिश्र, गौरव मिश्र, चंदन सविता, चांद वीर सिंह यादव, कल्लू अवस्थी, दुर्गा अवस्थी आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे. आगंतुकों का स्वागत के. के. पांडेय ने तथा आभार चंद्र मौलि पांडेय ने व्यक्त किया।


बहुत-बहुत बधाई आप सब को 💐💐🙏🙏
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