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Wednesday, May 22, 2024

स्ट्रांग रूम में रखी गई ईवीएम, सुरक्षा में लगे सेना के जवान

मंडी समिति में बनाया गया है स्ट्रांग रूम, आगामी 4 जून को होगी मतगणना

चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद

बांदा, के एस दुबे । सोमवार को शांतिपूर्ण तरीके से हुए मतदान के बाद देर रात तक पोलिंग पार्टियों के वापस आने का सिलसिला चला। रात तकरीबन एक बजे तक मतदान कर्मियों ने कागजी कार्रवाई पूरी करते हुए ईवीएम जमा कीं। सभी ईवीएम को स्ट्रांग रूम में रखवाया गया है। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए सेना के जवान तैनात किए गए हैं, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके। इस तरह से लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया। गौरतलब हो कि जनपद में 1389 बूथों पर सोमवार को नियत समय पर मतदान शुरू हुआ था। शाम तक हुए मतदान में 59.56 फीसदी मतदान हो सका। मतदान का समय खत्म होने के बाद पोलिंग पार्टियों ने अपना सामान बटोरा और ईवीएम लेकर मंडी समिति के लिए रवाना हुए। मतदान कर्मियों को जो वाहन ले गए थे, वही वाहन मतदान कर्मियों को वापस लेकर आए। रात तकरीबन एक बजे से मतदान कर्मियों के द्वारा कागजी कार्रवाई पूरी करते हुए ईवीएम जमा कराई गईं। सभी ईवीएम जमा हो जाने के बाद सुरक्षा के लिहाज से मंडी समिति स्थित स्ट्रांग रूम में सेना के जवान तैनात किए गए हैं। सेना के जवान लगातार निगरानी करेंगे। मंडी में मतदान कर्मियों के वापस लौटने को ध्यान में रखते हुए प्रशासन के द्वारा मंडी में नाश्ता और पेयजल का भी इंतजाम करवाया गया था। दूरदराज गांवों से थकेहारे लौटे मतदान कार्मिकों को जलपान भी कराया गया। इधर, लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे सभी प्रत्याशियों की किस्म का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है। आगामी 4 जून को मतगणना होनी है। मतगणना के के बाद ही यह पता चलेगा कि किसके सिर जीत का सेहरा बंधेगा।

ईवीएम की सुरक्षा में तैनात सेना का जवान

हार-जीत को लेकर लगाए जा रहे कयास

बांदा। मतदान संपन्न होने के बाद अब राजनीतिक गलियारे में जीत-हार को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। भाजपा, बसपा, सपा और अन्य दलों के प्रत्याशियों और समर्थकों के द्वारा अपने-अपने कयास लगाए जा रहे हैं। कोई भी अपनी हार स्वीकार करने की स्थिति में फिलहाल नहीं है। सबने यही कहा कि चुनाव में बेहतर तरीके से उनके पक्ष में मतदान हुआ है। हालांकि आगामी 4 जून को होने वाली मतगणना के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जातीय समीकरण के आधार पर भी हार-जीत की बातें की जा रही हैं, जबकि अपनी व्यवहारिकता पर भी जोर देते हुए प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी जीत पक्की समझ रहे हैं। अब देखना यह है कि मतगणना के बाद किसके सिर जीत का सेहरा बंधता है।


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