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Sunday, May 5, 2024

लापरवाही: डेढ़ वर्ष से महिला अस्पताल का वाटर प्लांट ठप

पेयजल संकट से जूझ रहे हैं महिला अस्पताल के तीमारदार और प्रसूताएं

महिला अस्पताल के अंदर लगे दो छोटे वाटर कूलर से चलाया जा रहा काम

जिम्मेदार बने बेपरवाह, जबरदस्त गर्मी में भी वाटर प्लांट की नहीं हो रही मरम्मत

बांदा, के एस दुबे । शासन के द्वारा अस्पतालों में उपचार के साथ ही स्वच्छ पानी उपलब्ध कराए जाने के लिए भारी भरकम बजट उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन अस्पताल के जिम्मेदारों की बेपरवाही और लापरवाही के चलते व्यवस्थाएं होने के बाद भी मरीज और तीमारदार परेशान रहते हैं। जिला महिला अस्पताल के बाहर लाखों रुपए की लागत से लगाया गया वाटर प्लांट डेढ़ वर्ष से बंद पड़ा हुआ है। अस्पताल की सीएमएस ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। मसलन मई माह की जबरदस्त गर्मी में एक-एक बोतल पानी के लिए मरीजों और प्रसूताओं को परेशान होना पड़ रहा है। एहतियात के तौर पर महिला अस्पताल में दो छोटे वाटर कूलर लगाए गए हैं, जिनसे सभी प्रसूताओं और तीमारदारों को पानी मिल पाना मुमकिन नहीं हो रहा है।

महिला अस्पताल के बाहर स्थित खराब पड़ा वाटर प्लांट

चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय के जिला महिला अस्पताल के बाहर एक वाटर प्लांट लगाया गया था। लाखों रुपए की लागत से लगाए गए इस वाटर प्लांट से महिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं और उनके तीमारदारों के अलावा अन्य मरीजों को शीतल पेयजल उपलब्ध होता था। लेकिन कोरोना काल के दौरान से खराब हुए इस वाटर प्लांट की सुध न तो स्वास्थ्य विभाग ने ली है और न ही महिला अस्पताल की सीएमएस ने ही इस तरफ कोई ध्यान दिया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि डेढ़ वर्ष से बंद इस वाटर प्लांट की मरम्मत कराए जाने के लिए सीएमएस समेत स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अधिकारी के पास समय ही नहीं है। मई माह की जबरदस्त गर्मी में महिला अस्पताल के अंदर लगे 80-80 लीटर के दो वाटर कूलरों से ही पानी देकर काम चलाया जा रहा है, जो नाकाफी है। सूत्रों की मानें तो महिला अस्पताल के बाहर लगा वाटर प्लांट डेढ़ वर्ष पहले से खराब पड़ा हुआ है। इसकी मरम्मत के लिए सीएमएस डा. सुनीता सिंह ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके चलते महिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं और उनके तीमारदारों को जबरदस्त गर्मी में पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में सीएमएस डा. सुनीता सिंह का कहना है कि वाटर प्लांट की मरम्मत के लिए कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं हो सकी है, वह एक बार फिर से पत्राचार कर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगी।

एक हैंडपंप पर लगती जबरदस्त भीड़

बांदा। जिला महिला अस्पताल के बाहर एक हैंडपंप लगा हुआ है। उस हैंडपंप में सुबह से ही प्रसूताओं के तीमारदारों की भीड़ लग जाती है। किसी तरह से बोतलों के सहारे पानी लेकर वह अपनी प्यास बुझा रहे हैं और अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं को भी पानी पिला रहे हैं। इसी हैंडपंप से ही ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीज और अस्पताल में भर्ती अन्य मरीज व उनके तीमारदार पानी प्राप्त कर रहे हैं, इससे एक बोतल पानी प्राप्त करने के लिए मरीजों को काफी देर इंतजार करना पड़ता है। अगर महिला अस्पताल प्रशासन के द्वारा वाटर प्लांट की मरमम्त करा दी जाए तो सभी प्रसूताओं और उनके तीमारदारों के साथ ही अन्य मरीजों को पेयजल आसानी के साथ उपलब्ध हो सकता है।

वाटर प्लांट की टोंटी और वासबेसिन के पास लगा मिट्टी का ढेर

पिछले दिनों डीएम ने किया था निरीक्षण

बांदा। तकरीबन एक पखवारे पूर्व जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने जिला पुरुष अस्पताल और महिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने उपचार व्यवस्था को दुरुस्त रखे जाने के साथ ही प्रसूताओं, मरीजों और तीमारदारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए हिदायत दी थी। कहा था कि गर्मी के दिनों में उपचार के साथ ही मरीजों को पेयजल की किल्लत नहीं होनी चाहिए। लेकिन जिला महिला अस्पताल की सीएमएस ने वाटर प्लांट की अब तक मरम्मत नहीं कराई है। जिला महिला अस्पताल प्रशासन पर जिलाधिकारी की हिदायत का कोई असर नजर नहीं आ रहा है।

दुकानों से खरीदी जा रही पानी की बोतलें

बांदा। जिला महिला अस्पताल के वाटर प्लांट के खराब होने और एक हैैंडपंप होने की वजह से अस्पताल के बाहर स्थित दुकानों से पानी की बोतलें खरीदने को तीमारदार मजबूर हो रहे हैं। महिला अस्पताल के अंदर लगे 80-80 लीटर के दो छोटे वाटर कूलर से मरीजों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। इसकी वजह से मरीज पानी की बोतलें खरीदकर किसी तरह अपनी प्यास बुझाते हैं। ताज्जुब की बात है कि डेढ़ वर्ष से महिला अस्पताल के बाहर स्थित वाटर प्लांट खराब पड़ा हुआ है और जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।

वासबेसिन और टोंटी के पास मिट्टी का ढेर

बांदा। लाखों रुपए की लागत से लगवाए गए वाटर प्लांट की दुर्दशा स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी को नजर नहीं आ रही है। सब अपने काम पर व्यस्त नजर आ रहे हैं। वाटर प्लांट से मरीजों को फिल्टर पानी मिलता था, लेकिन जिम्मेदारों की बेपरवाही का आलम यह है कि एक बूंद पानी भी वाटर प्लांट से प्रसूताओं, मरीजों व तीमारदारों को नहीं मिल पा रहा है। वाटर प्लांट में लगी टोंटी और वासबेसिन के पास मिट्टी का ढेर और झाड़-झंखाड़ लगा हुआ है।


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