कंपोस्ट और बायो गैस उत्पादन पर कार्यशाला में हुई चर्चा
बांदा, के एस दुबे । कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के उद्यान महाविद्यालय सभागार में कम्पोस्ट एवं बायोगैस उत्पादन (वेस्ट से वेल्थ) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के मुखिया प्रो. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने की। कुलपति ने प्रकृति को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने पर जोर दिया। उन्होने कहा कि प्रकृति सिर्फ मानव जाति का ही नही अपितु समस्त जीवों का घर है। हमें प्रकृति को सुरक्षित एवं संरक्षित करने हेतु दूसरे से अपेक्षा करने से पूर्व सर्वप्रथम स्वयं में ही बदलाव लाने की आवश्यकता है।
कार्यशाला को संबोधित करते अतिथि |
कुलपति ने कहा कि हमें जैविक और प्राकृतिक कृषि को अति शीघ्र अपनाना पडे़गा जिससे हम अपने स्वास्थ्य के साथ प्रकृति को भी संरक्षित रख पायेगे। कार्यक्रम में उपस्थित रहे अन्य कृषि वैज्ञानिको ने भी अपने विचारो एवं सुझाओं को अपने उद्बोधन के माध्यम से सबके सामने रखा। विश्वविद्यालय में वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा0 संजीव कुमार ने कहा कि प्रकृति का अंधाधुंध दोहन मानव समेत समग्र प्राणियों को उनके अन्त के तरफ अग्रसरित कर रहा है। उन्होने आकडों के सहायता से बताया कि प्लाटिक हमारे वातावरण को अनेक प्रकार से दूषित कर रहा है, जिसका उपयोग करना प्रतिबन्धित कर देना चाहिये। उद्यान महाविद्यालय के अधिश्ठाता डा. सत्य व्रत द्विवेदी ने समस्त श्रोतागणों को बताया कि प्रकृति को सुरक्षित और संरक्षित करने के क्रम में प्राकृतिक जलाशयों को स्वच्छ रखना मानव जाति का महत्वपूर्ण कर्तव्य है तथा जल संग्रहण करना कृषि के साथ सभी प्राणियों के जीवन के लिये अत्यन्त आवश्यक है क्योकि देश विदेश के अनेक शहकरो के भूमिगत जल समाप्त हो चुके है, फलस्वरूप वहां जीवन यापन लगभग असम्भव हो गया है। गृह विज्ञान महाविद्यालय की सह अधिष्ठाता डा. वन्दना ने बताया कि हम अपने पूर्वजो के घरेलू कलाओं, जैसे कि बांस एवं मंूज की टोकरियों का निर्माण इत्यादि, को संरक्षित करके भी हम पर्यावरण को सुरक्षित कर सकते है। घर के अवशिष्टो को पुनः प्रयोग में लाने की कला सीखनी चाहिये। निदेशक प्रसार डा. एनके बाजपेई ने अपने उद्वोधन में बताया कि जिस प्रकार हमारे पूर्वज भोजन को बस भोजन न समझकर ईश्वर का आर्शीवाद मानते थे, भोजन का सम्मान कर उसको व्यर्थ नही करते थे उसी प्रकार हमें भी भोजन के सम्मान में उसको व्यर्थ नही करना चाहिये। कुलसचिव डा. एसके सिंह ने बताया कि जीवन तभी सम्भव है कि जब तक हमारी प्रकृति जीवन्त रहे। हमें रियूज एवं रिसाइकल को बढावा देना चाहिये। कार्यक्रम में छात्रों हेतु क्विज एवं पोस्टर प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-
मौजूद लोग |
छात्राओं ने बढ-चढकर प्रतिभाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को माननीय कुलपति द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम में मिशन लाईफ के अन्तर्गत सुझाव कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था जिसमें कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. जीएस पंवार ने फसल अवशेष प्रबन्धन, डा. आनन्द सिंह समग्र ग्रामीण विकास हेतु पशुधन एवं पशुशाला अवशेष प्रबन्धन, डा. देव कुमार ने वर्मीकम्पोस्ट का कृषि में महत्व, डा0 मोनिका जैन ने अवशिष्ट प्रबन्धन तथा डा. अनिकेत काल्हापरे ने सम्नवित कृषि प्रणाली से अवशिष्ट का प्रबन्धन विशयो पर अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं लाभदायक सुझाव दिये। अन्त में कार्यक्रम के आयोजक डा. एके श्रीवास्तव ने सभागार में उपस्थित अतिथिगण, कृषि वैज्ञानिकों, कर्मचारियों तथा उपस्थित छात्र-छात्राओं का धन्यवाद ज्ञापन करने के साथ इस बात से अवगत कराया कि हमे प्रकृति को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने हेतु अवशिष्ट पदार्थो का कम से कम उत्पादन करना चाहिये तथा उत्पादित अवशिष्ट को कम्पोस्ट एवं बायोगैस के रूप में परिवर्तित करके पुनः प्रयोग में लाना चाहिये।
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