स्लम बस्तियों की योजनाएं व संचालित विभाग बने शोपीस
फतेहपुर, मो. शमशाद । जनपद के स्लम बस्तियों में रहने वाले नौनिहालों के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के इतर देश का भविष्य कूड़े में अपना व अपने परिवार का भविष्य तलाश रहे हैं। आम लोगों के घरों से निकलने वाला कचरा जिसकी सडांध से बचने के लिए लोग दूर से ही कपड़े से अपनी नाक ढक कर निकलते हैं। उसी कचरे के ढेर से स्लम बस्तियो में रहने वाले बच्चे दिन भर प्लास्टिक, गत्ता, कागज व लोहे के टुकड़े बीनकर अपना व अपने परिवार का पेट चला रहे हैं। कहने को तो शहर में कूड़े के कई स्थान चिन्हित हैं। लोधीगंज, भिटौरा मार्ग अटल पार्क के निकट नगर पालिका के कचरा एकत्र करने का स्थान हो या फिर अन्य जगह इसके अलावा शहर के अन्य छोटी बड़ी गलियों में एकत्र कूड़े के ढेर से कचरा बीनते हुए छोटे छोटे बच्चों को देखा जा सकता है। मलिन बस्तियों की तंग गलियों में रहने वाले गरीब परिवारों व उनके बच्चों के उत्थान के लिये केंद्र व
पालिका के डस्टबिन में कूड़ा तलाश करते नौनिहाल बच्चे। |
प्रदेश सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इन परिवारों के आउट आफ स्कूल वाले बच्चों को एनजीओ के माध्यम से स्कूल में दाखिला कराये जाने व परिवार को पात्र गृहस्थी व अंत्योदय योजना में नाम शामिल करवाक़र परिवार को मुफ्त शासन देने की व्यवस्था करने, बच्चों को मुफ्त कॉपी किताब व स्कॉलरशिप, व्यवसाय के लिये लोन आदि दिए जाने का प्रावधान है। योजनाओं को अमली जामा पहनाने व बच्चों के अधिकारों का हनन होने से रोकने के लिये केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से कई विभाग काम करते हैं। इसके अलावा केंद्र व प्रदेश के बाल आयोग भी काम कर रहे है। सरकार प्रतिमाह इन आयोगों के सदस्यों एव अध्यक्षों पर मोटी रकम भी खर्च करती है। फिर भी नतीजा सिफर ही है। शासन की योजनाओं का लाभ पात्रों के तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बावजूद कूड़े में अपने परिवार के लिए खुशियां तलाशते हुए नौनिहाल के सामने आखि़र क्या मजबूरी है शासन की योजनाएं पात्रों तक न पहुंचना अपने आपमें सवाल है।
No comments:
Post a Comment