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Sunday, November 17, 2024

गीता के श्लोक सुनाकर मौलाना ने दिया भाईचारे का संदेश

कुरान के साथ-साथ वेदों के भी ज्ञाता हैं मौलाना मोइनुद्दीन चतुर्वेदी

खागा, फतेहपुर, मो. शमशाद खान । ऐरायां ब्लॉक के इजूरा बुजुर्ग गांव में पूर्व प्रधान इनायत हुसैन उर्फ अशोक प्रधान के संयोजन में जमाले हबीब कॉन्फ्रेंस में हजरत अल्लामा मुफ्ती मौलाना मोइनुद्दीन कादरी चतुर्वेदी शेखुल हदीस जामिया मालदा बंगाल ने कुरआन के साथ-साथ भागवत गीता के श्लोकों के माध्यम से भाईचारा एवं इंसानियत का पैगाम दिया। चार भाषाओं में तकरीर सुनकर लोग हैरत में पड़ गए। इसके पहले उनके आगमन पर कार्यक्रम के आयोजक इनायत हुसैन उर्फ अशोक प्रधान के नेतृत्व में गुलपोशी कर इस्तकबाल किया गया। माता-पिता की सेवा पर उन्होंने विशेष जोर दिया। कॉन्फ्रेंस में नातिया कलाम भी पेश किए गए। मौलाना मोइनुद्दीन चतुर्वेदी ने कहा कि नात सुनना भी अल्लाह की इबादत है। ऐसा लगता है बदरे मुनीर आएंगे, आज महफिल में पीराने-पीर रहेंगे। उन्होंने आज के हालात के एतबार से भी गुफ्तगू की और इंसानियत को सबसे बड़ा दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम गरीब नवाज, गौसे आजम, रसूल अल्लाह की जीवनी है जिसमें इंसानियत का ही पाठ पढ़ाया गया है। इंसान उसे कहते हैं जिसके पास इंसानियत है, हाथ पैर तो जानवरों के भी होते हैं। पड़ोसी को

जमाले हबीब कान्फ्रेंस को संबोधित करते मौलाना मोइनुद्दीन कादरी चतुर्वेदी।

तकलीफ हो और हमारा दिल बेचौन हो जाए तो समझो हम इंसान हैं। आयोजक अशोक प्रधान का जिक्र करते हुए मौलाना ने फरमाया कि महबूब की महफिल तो महबूब सजाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर दौलत मिली है तो एक बार हुजूर का गुंबदे खजरा जरूर देख लेना। श्री चतुर्वेदी ने माता-पिता की खिदमत के हवाले से फरमाया कि माता-पिता को कभी भी तकलीफ मत देना। एक बार पूजा, पाठ, इबादत भूल जाना लेकिन माता-पिता की खिदमत करना मत भूलना। पूर्व प्रधान इनायत हुसैन उर्फ अशोक प्रधान ने बेटी की शादी के मौके पर जमाले हबीबी कॉन्फ्रेंस आयोजित की जिसमें तकरीर के साथ-साथ जाने-माने शायरों ने नातिया कलाम पेश किए। प्रोग्राम के सरपरस्त मौलाना मोहम्मद आजम रजा ने तकरीर के दौरान पढ़ा-मुकद्दर जगमगाना चाहता हूं, मदीना मैं भी जाना चाहता हूं। शादी करो अली की तरह बच्चे पैदा होंगे वली की तरह। निजामत अब्दुल कादिर हबीबी ने की। मौलाना अनवार आलम उर्फ जम जम फतेहपुरी ने नातिया कलाम से महफिल लूट ली। अख्तर रजा बरकाती, कारी इकरार अहमद, कारी जावेद अहमद, अब्दुल कादिर हबीबी, आफताब आलम अल्लीपुरी ने नातिया कलाम पढ़े। इंतजाम कारों में मोहम्मद हुसैन नान बच्चा, अफसर प्रधान, मोहम्मद परवेज, शकील अहमद, तबरेज आलम आदि अनेक लोग रहे। मौलाना चतुर्वेदी की तकरीर सुनने के लिए जश्ने-मुस्तफा में अकीदतमंदों की भारी भीड़ रही जिसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में थीं।


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