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Saturday, August 17, 2024

शिविर लगाकर बंदियों को दी गई कानूनी जानकारियां

अपर जिला जज ने बंदियों को दी कानूनी सलाह

बांदा, के एस दुबे । जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण डा. बब्बू सारंग के निर्देश पर शनिवार को जिला कारागार और महिला बैरक में प्ली बारेगेनिंग के संबंध में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अपर जिला जज श्रीपाल सिंह ने अध्यक्षता करते हुए कानूनी जानकारियां दीं। िजिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव व अपर जिला जज श्रीपाल सिंह ने कारागार में निरुद्ध बंदियों को प्ली बारगेनिंग के संबंध में विधिक जानकारी दी गई। बताया गया कि प्ली बारगेनिंग से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिस पर कम गम्भीर अपराध का आरोप लगाया गया है, किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा अपराध जिसकी सजा सात वर्ष या उससे कम है, या अभियुक्त ने पहली बार अपराध किया है तो, ऐसे में अभियुक्त अपनी गलती स्वीकार कर क्षमायाचना कर सकता है। अभियुक्त वह अपनी सजा कम कराने के लिए न्यायाधीश के समक्ष आवेदन कर सकता है। छोटे अपराधों में पीड़ित और अभियुक्त आपसी सामंजस्य से सौदेबाजी कर सकते है। प्ली-बारगेनिंग का लाभ किसी भी विचाराधीन

जिला कारागार में जानकारी देते हुए न्यायाधीश

आरोपी को एक बार ही मिल सकता है। प्ली-बारगेनिंग में निर्दोष लोगो के फंसने की सम्भावनाएं ज्यादा होती है, क्योंकि ये जानते हुए भी कि वे निर्दोष है, लम्बी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए प्ली-बारगेनिंग कर सकते है। यद्यपि इसके बाद जमानत का विकल्प शेष नही रहता। प्ली-बारगेनिंग के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र देने के उपरान्त प्रकरण न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है जिस पर वह आपसी समझौते के आधार पर आरोपी अपनी गलती स्वीकार करता है, यदि शिकायतकर्ता आरोपी को क्षमा करने के लिए तैयार हो जाता है तो प्ली- बारगेनिंग लागू हो जाती है। इसके तहत आरोपी को कम से कम सजा दी जाती है। आजीवन कारावास या महिला और बच्चों के प्रति कारित अपराध में एवं सामाजिक व आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करने वाले अपराध में प्ली-बारगेनिंग लागू नही होती। इससे मुकदमेबाजी पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है। साथ ही सुमन शुक्ला पीएलवी की ओर से विधिक सहायता के लिए नालसा द्वारा संचालित टॉल फ्री नं0-15100 के सम्बंध में जानकारी प्रदान की गयी। शिविर के अन्त में पांच महिला बन्दियों के प्रार्थना पत्रों पर विधिक सहायता उपलब्ध करायी गयी। इसके उपरान्त सचिव द्वारा कारागार का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान बन्दियों के टिकट में सम्पूर्ण जानकारियां अंकित किये जाने के संबंध में वरिष्ठ जेल अधीक्षक एके सिंह व उपजेलर निर्भय सिंह को निर्देशित किया गया। शिविर में भावना श्रीवास्तव, विधि सहायक परिवीक्षा अधिकारी तथा अनीता काउन्सलर, वन स्टॉप सेण्टर, जिला प्रोबेशन कार्यालय बांदा ने सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में महिला बन्दियों को जानकारी प्रदान की। शिविर का संचालन सुमन शुक्ला, पराविधिक स्वयंसेवक द्वारा किया गया। इस अवसर पर एके सिंह वरिष्ठ अधीक्षक जेल, निर्भय सिंह, रामरती, अनिल त्रिपाठी तथा राशिद अहमद अन्सारी डीईओ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित रहे।


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