चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अपर जिला जज नीलू मैनवाल व न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजलिका प्रियदर्शनी ने जिला कारागार का निरीक्षण किया। इस दौरान बंदियों को दी जाने वाली विधिक सहायता सम्बन्धी प्रावधानों और लाभों से बंदियों को अवगत कराया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अपर जिला जज नीलू मैनवाल व न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजलिका प्रियदर्शनी ने जिला कारागार में 18 से 21 वर्ष आयु वाले अल्प वयस्क बंदियों की बैरक को देखा। साथ ही उनकी समस्याओं का अनुश्रवण किया, उनके शिक्षण, प्रशिक्षण, खेलकूद और नवाचार गतिविधियों सम्बन्धी जानकारी जेल अधिकारियों से ली। साथ ही इसके लिए बंदियों को प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान उन विचाराधीन बंदियों जिनकी जेल में प्रवेश से 6 महीने बीतने के बाद भी जमानत प्रार्थना पत्र कोर्ट में दाखिल नहीं हुई या जिन विचाराधीन बंदियों की बेल खारिज होने के 1 वर्ष की अवधि
बीतने के बाद अभी उच्च न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं हुई है, उनकी सूची बनाकर विधिक सहायता उपलब्ध कराने की कार्यवाही की गई। इसके अतिरिक्त जो विचाराधीन बंदी जमानत होने के बाद जमानतदार के अभाव में जेल में निरुद्ध हैं, जो विचाराधीन बंदी समझौता योग्य अपराधों की श्रेणी में हैं या धारा 479 के तहत विचाराधीन बंदी पात्र हैं, के सम्बन्ध में विधिक सेवा प्रदान करने की कार्यवाही की गई। महिला बंदियों की जमानत और विधिक सहायता पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने जेल में कार्यरत पैरा लीगल वालंटियर्स को भी बंदियों में जागरूकता और विधिक सेवा के लिए प्रशिक्षित किया। साथ ही जेल में कार्यरत लीगल एड डिफेन्स कॉन्सिल के कार्यों की व्यापक समीक्षा भी की। इस मौके पर जेल अधीक्षक शशांक पांडेय, जेलर संतोष वर्मा, डिप्टी जेलर रजनीश सिंह, बृज किशोरी, एलएडीसी कुलदीप सिंह आदि मौजूद रहे।
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