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Sunday, September 29, 2024

भक्त प्रहलाद की कथा से भावविभोर हुए श्रोता

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । दास हनुमान मंदिर श्रीधर धाम के कथा पंडाल में चल रही श्रीधाम वृंदावन के युवा कथावाचक आचार्य मनीष भाई ने सप्तम स्कंध में भक्तराज प्रहलाद व हिरण्यकशिपु की कथा को सुनाया। उन्होंने भक्त प्रहलाद के कथानक से धर्म, त्याग, भक्ति व निस्पृहता आदि की चर्चा करते हुए मानव धर्म, वर्ण धर्म व स्त्री धर्म का वर्णन किया। रविवार को श्रीधाम वृन्दावन के युवा कथावाचक मनीष भाई पितृ मोक्ष को आयोजित श्रीमद्भागवत कथा की व्यास पीठ से देश भर से आये श्रोताओं व स्थानीय लोगों को ज्ञान वर्धक भागवत कथा का श्रवण करा रहे हैं। मनीष भाई ने कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। चाहे वह स्थान अपने

 कथा व्यास मनीष भाई।

जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए मनीष भाई ने धु्रव की सौतेली मां सुरुचि के अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता कि प्रहलाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है। उस विश्वास को पूर्ण करने को भगवान उसी में से प्रकट हुए। हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायकों ने वाद्य यंत्रों से मनोहारी भजनों को प्रस्तुत किया।


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