धनत्रयोदशी (धनतेरस) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव यानि दिवाली के पर्व का आंरभ हो जाता है जो भाई दूज तक चलता है। इस बार यह त्योहार 5 दिन की बजाय 6 दिन का पड़ रहा है पंच पर्व का कैलेंडर- 29 अक्टूबर - धनतेरस,धन्वंतरि पूजा,
30 अक्टूबर - हनुमान जयंती , यम चतुर्दशी, 31 अक्टूबर – दीपावली (1 नवम्बर - स्नान दान की अमावस्या ) 2 नवम्बर - अन्नकूट, गोवेर्धन पूजा , 3-नवम्बर - भैया दूज, चित्रगुप्त पूजा, त्रयोदशी तिथि का आरंभ - 29 अक्टूबर, सुबह 11 बजे से होगा और त्रयोदशी तिथि का समापन - 30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 05 मिनट पर होगा , धनत्रयोदशी 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग, उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का महासंयोग बनेगा, चन्द्रमा कन्या राशि में रहेंगे।
धनतेरस के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा अर्चना की जाती है और इसके अगले दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है। एवं इस दिन यमदीप दान किया जाता है। सायंकाल कोे आटे या मिट्टी के दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाकर मुरव्य द्वार पर रखा जाता है। इस दीपदान से असामयिक मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन बर्तन, चांदी, सोना, वाहन, प्रापर्टी, इलेक्ट्रानिक सामान , वस्त्र आदि खरीदना शुभ व समृद्विकारक होता है
-ज्योतिषाचार्य-एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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