नवरात्र के पांचवें दिन देवी मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु, कराया कन्या भोज
दुर्गा सप्तशती पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का दौर भी हुआ तेज
देवी पंडालों में भी कन्याओं को वृहद तरीके से कराया जा रहा कन्या भोज
खत्री पहाड़ और मां विंध्यवासिनी परिसर में यूपी-एमपी के पहुंच रहे श्रद्धालु
बांदा, के एस दुबे । गिरवां के खत्रीपहाड़ पर्वत पर विराजमान जगत जननी मां जगदंबा का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से भी हजारों लोग मातारानी का दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। जगत माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए श्रद्धालुओं को पूरे वर्ष शारदीय नवरात्र पर्व का इंतजार रहता है। पांचवें दिन मातारानी के स्वरूप की झांकियों का श्रद्धालुओं ने विधिवत दर्शन किया। इसके पूर्व भोर होते ही श्रद्धालु मातारानी के दरबार में पहुंचे और जलाभिषेक करते हुए पूजा-अर्चना की। सोमवार को नवरात्र के पांचवें दिन भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ शहर के महेश्वरी देवी मंदिर और
पंडालों में विराजमान जगत माता की प्रतिमाएं |
काली देवी मंदिर पहुंच गई। श्रद्धालुओं में मातारानी का जलाभिषेक करने के लिए होड़ लगी रही। दोपहर के समय तक श्रद्धालु जलाभिषेक और पूजन-अर्चन करते रहे। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में मातारानी की दंडवती परिक्रमा भी लगाई। मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालुओं अपनी श्रद्धा के मुताबिक मातारानी का चढ़ावा भी चढ़ाया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने जगत जननी के दरबार में ही कन्याओं को भोज कराया। इधर, शहर से 20 किलोमीटर दूरी पर गिरवां में स्थित मां विंध्यवासिनी परिसर में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से भी श्रद्धालुओं का आवागमन तेज हो गया है। विंध्यवासिनी पर्वत के नीचे विराजमान मां विंध्यवासिनी का दर्शन श्रद्धालुओं ने किया। इसके बाद पर्वत पर विराजमान मातारानी का दर्शन करने के लिए लगभग आठ सैकड़ा से अधिक सीढ़ी चढ़कर श्रद्धालु पहुंचे और मातारानी का दर्शन किया। वहां भी श्रद्धालुओं ने आरती पूजा कर मन्नतें मानीं। इधर, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए पूरे नवरात्र तक श्रीराम लीला का मंचन किया जाता है। रामलीला मंचन के लिए बाहरी जिलों से कलाकारों को बुलाया जाता है। कलाकार श्रद्धालुओं को अपने अभिनय से मोहित करते हैं। इसके साथ ही मंदिर परिसर में काला जादू, नाटक मंडली के द्वारा भी अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है। दिन और रात पूरे नौ दिनों तक जगत माता के दरबार में हाजिरी लगाने वालों की लंबी फेहरिस्त बनी रहती है। मातारानी का दर्शन करने के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने मेला परिसर में लगाई गई दुकानों में जमकर खरीददारी की। बच्चे गुब्बारा आदि खरीदते हुए नजर आए जबकि श्रद्धालुओं ने अन्य सामग्री की खरीददारी की। इधर, गिरवां थाना पुलिस और अकबरपुर चौकी लगातार मेला परिसर की निगरानी कर रही है। थाना प्रभारी का कहना है कि जरूरत पड़ने पर और पुलिस फोर्स भी बुलवाई जाएगी। गौरतलब हो कि नवरात्र महोत्सव में शहर में लगभग चार सौ से अधिक स्थानों पर देवी पंडाल सजाए गए हैं। इन पंडालों में समितियों के पदाधिकारियों ने दुर्गा माता की प्रतिमाएं स्थापित की हैं। जगत माता के पंडाल को श्रद्धालु लगातार प्रतिदिन नई
साज-सज्जा के साथ सजा रहे हैं। बिजली की चकाचौंध से पंडाल जगमग नजर आ रहे हैं। इधर, बदौसा कस्बे से तीन किलोमीटर दूर मां कात्यानी देवी मंदिर पर नवरात्र में मां के दर्शन हेतु दूर-दूर से आते हैं। श्रद्धालु यहां के दर्शन मात्र से लोगों के कष्ट दुख दूर हो जाते हैं। बदौसा के नदी किनारे ऊंचे टीले पर बना है मां का मंदिर। आसपास के दृश्य अत्यंत सुहावना और उद्गम स्थान है। यहां लोग देवी माता की आराधना पूजा अर्चना के साथ नौ दिन सीने पर जवारा बोने की प्रथा प्रचलित है जिस व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। वह 9 दिन व्रत रहकर मां की पूजा अर्चन करते हैं। यह मंदिर बांदा मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर प्रयागराज हाईवे से तीन किलोमीटर दूर पर स्थित है। इतिहास बरछा-ब दुबरिया महता तुर्रा गांव के मध्य नदी के ऊपर उत्तर दिशा में मां कात्यानी देवी का शक्तिपीठ स्थापित लोगों का कहना है कि 400 वर्ष पूर्व नदी के किनारे ऋषि मुनि तपस्या करते थे उन्हीं के द्वारा यह मंदिर की स्थापना की गई थी। कालांतर में इस स्थान को देवी माता के नाम से जाना जाता है मंदिर का जीरो द्वार ग्रामीणों के सहयोग से निरंतर चलता है। मंदिर पर कात्यानी देवी के अलावा चौसठ योगिनी काली माता अन्य देवियों के अलावा हनुमानजी ब्रह्मदेव, भैरव यह देवता मां कात्यानी की सेवा में लीन रहते हैं। नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है।
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