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Tuesday, January 21, 2025

राष्ट्र और युवाओं के नाम: 26 जनवरी और महाकुंभ की प्रेरणा - अन्नू मिश्रा

देवेश प्रताप सिंह राठौर 

उत्तर प्रदेश, झांसी आने वाले 26 जनवरी, वह दिन जब हमारा संविधान लागू हुआ, हमें हमारे पूर्वजों के बलिदान, एकता और दृष्टि की याद दिलाता है। यह गणतंत्र दिवस केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव नहीं है, बल्कि हम युवाओं के लिए यह आह्वान है कि हम एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को सजीव रखें। भारत विविधताओं, संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है। एक युवा हिंदू के रूप में, सनातन धर्म के मूल्यों में हमारी जड़ें न केवल हमारी पहचान हैं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी हैं। महाकुंभ, जो आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, हमारे देश की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है—विविधता, परंपरा और विश्वास का संगम। जैसे लाखों लोग कुंभ में आत्मशुद्धि के लिए इकट्ठा होते हैं, वैसे ही हमें अपने इरादों को शुद्ध कर, राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करना चाहिए। युवाओं का धर्म कर्म है। इस


गणतंत्र दिवस पर, भगवद गीता के उपदेशों को याद करें: निःस्वार्थ सेवा, कर्तव्य, और सत्य और न्याय के प्रति अडिग प्रतिबद्धता। संविधान की मर्यादा और महाकुंभ की आध्यात्मिक शक्ति को प्रेरणा मानकर हम ऐसा भारत बना सकते हैं जो शांति, नवाचार और स्थिरता का प्रतीक हो। हमारे अतीत की ज्ञान-परंपरा वर्तमान को सशक्त बनाने का मार्ग दिखाती है। हमारे तिरंगे की गरिमा को बनाए रखें, अन्याय का विरोध करें, और यह याद रखें कि एकजुट और आत्मनिर्भर भारत हर चुनौती का सामना कर सकता है। इस गणतंत्र दिवस पर, महाकुंभ की भावना हमें यह सिखाती है कि भेदभाव से ऊपर उठकर, एकजुट होकर एक समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण भविष्य के लिए काम करें। जय हिंद! हर हर महादेव!

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