बाँकेसिद्ध आश्रम की सड़क अधूरी, श्रद्धालु त्राहिमाम
गणेशबाग से सिद्धपुर तक गड्ढों का साम्राज्य
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । दीपावली अमावस्या का पर्व नजदीक है और पंचकोसी परिक्रमा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। किंतु श्रद्धा की यह परिक्रमा आज भी अधूरी सड़कों और अंधेरे रास्तों के बोझ तले कराह रही है। गणेशबाग से सिद्धपुर तक का मार्ग इस कदर गड्ढों से पट चुका है कि आस्था के रथ मानो धूल-धक्कड़ में अटक जाएँ। वहीं बाँकेसिद्ध आश्रम तक पहुँचने वाली चार सौ मीटर सड़क वर्षों से डामरीकरण की बाट जोह रही है। लोकनिर्माण विभाग ने सिद्धपुर तक सड़क तो बना दी, पर आश्रम से जोड़ने की सुध न ली- मानो भक्तों का आना-जाना प्रशासन की नजरों में कोई मायने ही न रखता हो। परिक्रमा का यह मार्ग पम्पापुर देवांगना से होते हुए हनुमानधारा तक उतरता है,
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| पंचकोसी परिक्रमा वाले बाँकेसिद्ध आश्रम की अधूरी सड़क |
जहाँ प्रतिवर्ष दीपावली अमावस्या पर पचासों हजार श्रद्धालु कदमताल करते हैं। परंतु उन्हें गड्ढों, टूटी सीढ़ियों, अंधकार और पेयजल के अभाव से जूझना पड़ता है। पर्यटन विभाग की गंभीरता का आलम यह है कि बाँकेसिद्ध आश्रम आज भी यात्रीशेड और मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस संबंध में बुंदेली सेना ने जिलाधिकारी से मांग रखी कि दीपावली से पहले यह अधूरा काम पूरा कराया जाए और आस्था के इस महापर्व पर श्रद्धालुओं को राहत दी जाए। प्रश्न वही है- जब हजारों लोग हर वर्ष यहाँ आस्था का दीप जलाने आते हैं तो प्रशासन की नजरें कब तक अंधेरे में भटकती रहेंगी?


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