चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । भारतीय बौद्ध महासभा ने बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध का 2568वां जन्मोत्सव कर्वी शहर के विद्यानगर स्थित पीताम्बर पैलेस गार्डेन में मनाया। गुरुवार को बुद्ध के अनुयायियों ने चिलचिलाती धूप- गर्मी में भारी तादाद में एकजुट होकर भगवान बुद्ध के उपदेश सुने। यहां हुई गोष्ठी में दूर-दराज से आये लोगों ने बुद्ध महिमा का वर्णन कर उपदेशों पर चलने का संकल्प लिया। डा ज्ञानचंद्र बौद्ध ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। जन्मोत्सव की शुरूआत सवेरे दस बजे से पीताम्बर पैलेस गार्डेन में वंदना व पुष्पार्पण से हुई। बुद्ध अनुयायिओं ने अंबेडकर प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। अन्त में सभी बौद्ध भंते व बुद्ध उपासकों ने खीर खाई। संचालक गया प्रसाद बौद्ध ने पंचशील पढकर बुद्ध धम्म पालन को प्रेरित किया। अध्यक्ष डॉ ज्ञानचंद्र बौद्ध ने कहा
जयंती में मौजूद लोग। |
कि भगवान बुद्ध के संदेश आज भी प्रासांगिक हैं। पंचशील का पालन करने से ही मानव कल्याण संभव है। शांति का संदेश भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में स्मरणीय है। बौद्ध काल में भारत को विश्व गुरु का दर्जा मिला, जो भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। आलोक बौद्ध ने कहा कि रूढ़वादिता, अंधविश्वास को त्यागने को महिलाओं को आगे आना होगा। महिलाओं में चेतना पैदा करना आज के समय की जरूरत है। वरिष्ठ युवा समाजसेवी धर्मेन्द्र कुमार भास्कर ने कहा कि इसी तिथि के दिन भगवान बुद्ध ने जन्म लिया था। बौद्ध धर्म से जुड़े लोग इस तिथि को खासतौर से मनाते हैं। ज्ञान-धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देने वाले भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस स्थान पर विशेष पूजा की जाती है। ये जयंती भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में धूमधाम से मनाई जाती है। आभास महासंघ के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार सनेही ने कहा कि मानव का संपूर्ण विकास बुद्ध के मार्गों से ही संभव है। मध्यम मार्ग को उचित बताते हुए कहा कि विश्व में मध्यम मार्ग से ही समझौता/संधि आपसी देशों में कायम हुई। वैज्ञानिक धर्म जो बौद्ध धर्म को संज्ञा मिली, विदेशों में वैज्ञानिकता को बल बौद्ध धर्म से मिला। जो देश बौद्ध धर्म अपनाते हैं, वे विकसित देश कहलाते हैं। इस मौके पर समाजसेवी रामनाथ, रामऔतार, शिवप्रसाद, प्रेमचंद्र वर्मा, कपिल, बाबूलाल संखवार, भइयालाल, माताबदल, विनोद वर्मा, अशीष, डा एसपी वर्मा, नगीना, गीता तमाम लोग मौजूद रहे।
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