शरीफ परवाज-निकहत परवीन के बीच कव्वाली का मुकाबला, भाईचारे की दिखी मिसाल
खागा/फतेहपुर, मो. शमशाद । खागा कोतवाली के खासमऊ गांव में हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक अंजन पीर बाबा का उर्स मुबारक संपन्न हुआ। जिसमें कव्वाली का भी शानदार प्रोग्राम हुआ। हम्द, नात, मनकबत के साथ-साथ गजल के अशआर भी सुनाए गए। कव्वाली के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। आसपास के गांवों के लोग भी प्रोग्राम में शामिल हुए। यहां हिंदू मुस्लिम एकता, भाईचारे और मोहब्बत की मिसाल देखी गई। फनकारों का गुलपोशी के साथ इस्तकबाल किया गया। कव्वाली का आगाज जाने माने कव्वाल शरीफ परवाज ने- वह सवेरा करे या रात करे, जो करे बस खुदा की जात करे, आदमीयत आदमी की है यही, जितनी हस्ती हो वो उतनी बात करें। मिट्टी का खिलौना तेरी औकात ही क्या है। दरे-मुस्तफा पर अगर मौत आए, मुझे आबे-जमजम से नहलाया जाए, जनाजा मेरा फरिश्ता उठाएं, मोहम्मद के कदमों में दफनाया जाए। हमसे न कोई टकराए चाहे चीन हो या जापान, अमेरिका, लंदन या वो हो पाकिस्तान, हम लोगों से मत टकराना याद रहे, यह ख्वाजा का देश है
उर्स मुबारक के दौरान कव्वाली पेश करते शरीफ परवाज व निकहत परवीन। |
इसका नाम है हिंदुस्तान। मेरे ख्वाजा पिया के कदमों में सुल्तान भी सर को झुकाते हैं, जब उर्स-ए-मुबारक आता है तशरीफ मोहम्मद लाते हैं। शरीफ परवाज ने शानदार गजल के अशआर भी पेश किए-टूटने वाली है कश्ती, डूबने वाले हैं हम, तुम सहारा दो न दो, बस देख तो लो कम-से-कम। जानी मानी कव्वाला निकहत परवीन बरेली ने भी नाते रसूल से कलाम की शुरुआत की-किसी की दुआ का असर देख रो आए, मदीने की शामो सहर देख आए। आसमान, तारों में, चांद में, गुलेतर में, तेरा नूर है मौला हर हसीन मंजर में। कमेटी के मोहमद हसन, रईस, इस्लाम कोटेदार, शानू, सरफराज अहमद, कादिर सिद्दीकी, वाहिद अली, मोहसिन, शमशाद अहमद, नईम अहमद, साहिल खान, इसरार आलम, मोहम्मद जावेद, मुन्ना, सफ्फू, राजू खान, खालिद खान सहित अहले कमेटी के अलावा प्रधान नितुन सिंह, अशोक तिवारी, विनोद गुप्ता आदि गांव वालों के अलावा दूर दराज आए लोगां ने कव्वाली को सुना। पड़ोस के गांव संवत से लोग पैदल चलकर उसमें भाग लिया जिनमें चंद्रपाल वर्मा, रामसागर, रोहित आटो, मोहम्मद यासीन, यार मोहमद, सुनील तिवारी भी मौजूद रहे।
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