राजापुर/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । क्षेत्र के नैनी गांव के सिद्ध आश्रम भैरवनाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक आचार्य धीरज पांडे वाराणसी ने कहा कि श्रीमद्भागवत का मात्र एक श्लोक सुरसरि गंगा के समान है। पूरे गांव के लोग कथा का रसपान कर रहे हैं। कथा के छठवें दिन सोमवार को कथाव्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत सुनने से मानव जीवन के संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं। भक्त साकेतधाम का गामी होता है। जिसके सुनने से दैहिक, दैविक व भौतिक तीनों प्रकार की सन्ताप नष्ट हो जाते हो। श्रीमद्भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि राजा परीक्षित मोक्ष के लिए श्रीमद्भागवत कथा पुराण को सुनकर मोक्ष प्राप्त किया था। कथावाचक ने कहा कि रामकथा के बिना कृष्ण कथा अधूरी है। भगवान श्रीकृष्ण के किये कार्यों को सुनना तथा त्रेता में भगवान श्रीराम की लीला का अनुसरण कर उत्तम समाज की स्थापना करना चाहिए। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने समाज के लिए हर प्रकार की नीतियों का समावेश किया। उन्हीं नीतियों से उत्तम समाज की स्थापना हो सकती है। द्वापर
भागवत कथा सुनाते आचार्य। |
के अहंकार रूपी कंस का वध कर माता-पिता देवकी-वासुदेव को कारागार से मुक्त करा अत्याचार का अंत किया था। कथावाचक ने कहा कि ब्रह्म बिना शक्ति व शक्ति बिना ब्रह्म अधूरे रहते हैं। शक्ति व ब्रह्म का मिलन माता रुक्मणी के विवाह से होता है। ब्राह्मण सुदामा की दीन दशा का वर्णन कर बताया कि सुदामा जीव के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ब्रह्म के रूप में थे। जिस तरह से जीवा ब्रह्म का एक स्वरूप माना जाता है, उसी प्रकार सुदामा ब्राह्मण चार वेदों अष्ट शास्त्रों का ज्ञाता होने के बाद भी परमपिता परमात्मा श्री कृष्ण से सखा भाव से ओतप्रोत होकर पत्नी सुशीला के कहने पर एक मुट्ठी तंदुल लेकर द्वारका मिलने गये थे। इस मौके पर आचार्य शिव प्रकाश मिश्रा, शिव प्रसाद द्विवेदी, हरिश्चंद्र मिश्रा, अमरीश त्रिपाठी, उग्रसेन उपाध्याय, पप्पू साहू आदि भक्त मौजूद रहे।
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