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Tuesday, July 9, 2024

विधिक जागरूकता शिविर में दी गईं कानूनी जानकारियां

तहसील बबेरू में किया गया शिविर का आयोजन

बांदा, के एस दुबे । तहसील बबेरू सभागार में मंगलवार केा विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। अध्यक्षता श्रीपाल सिंह अपर जिला जज व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने की। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी आधुनिक दासता अथवा गुलामी का ही एक रुप हैं। यह वो अपराध हैं। जहां एक व्यक्ति अपने लाभ के लिए धन प्राप्त करने के लिए दूसरे व्यक्ति का शोषण करता है। मानव तस्कर पीड़ित व्यक्त्ति का संवेदनशील स्थिति का फायदा उठाकर उस पर नियन्त्रण कर लेता हैं। प्रायः वे शारीरिक या मनोवैज्ञानिक हिंसा का प्रयोग करते हैं तथा पीड़ित की स्वतन्त्रता को सीमित कर देते हैं। अवैध व्यापार करने वाले तस्कर एक आपराधिक नेटवर्क में काम कर है, अकेले भी कर सकते हैं। मानव तस्करी हर किसी को प्रभावित कर सकती है चाहें वो बच्चे, व्यस्क पुरुष महिला अथवा उभयलिंगी ही क्यों न हो। यौन शोषण के शिकार लोगों को शोषक के लिए धन प्राप्त करने के लिए यौन

शिविर में संबोधित करते न्यायाधीश

सेवाएं करनी पड़ती हैं। यह न केवल वेश्यावृत्ति में हो रहा हैं बल्कि पोर्न उघोगों में, एस्कार्ट सेवाओं और इण्टरनेट पर भी हो रहा हैं। जबरन अपराध के शिकार व्यक्ति किसी और के लाभ के लिए अपनी इच्छा के विरुद्ध अपराध करने के लिए बाध्य होते हैं। शोषक हिंसा, धोखे, मादक पदार्थों की लत या ऋण का उपयोग व्यक्ति पर नियन्त्रण करने एवं उन्हे अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करता हैं। यह अक्सर युवा गिरोहों में होता हैं। सिविल जज जूनियर डिवीजन चारु केन ने कहा कि धन लाभ के लिए पीड़ित के शरीर के अंगों की तस्करी करना, भिक्षावृत्ति से धन अर्जित कराना मानव तस्करी के मुख्य कारक हैं। इनसे बचने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा निराश्रित पीड़ित को आपातकालीन आवास के लिए आश्रय स्थल उपलब्ध कराती हैं। प्रत्येक पीड़ित को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर आवास, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, रोजगार, सामाजिक देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल आदि में सामाजिक सहायता प्रदान करायी जाती हैं। पीड़ित व्यक्ति को न्याय के लिए विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा निशुल्क परामर्श, अधिवक्ता व आर्थिक सहायता प्रदान की जाती हैं। नायब तहसीलदार बबेरू मनोहर लाल ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम-2013 के अन्तर्गत ऐसी घटनाएं होने पर अभियुक्त को तीन वर्ष से सात वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्राविधान है। अभियुक्त के विरुद्ध आईपीसी की धारा-354 के अन्तर्गत दाण्डिक कार्यवाही भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त सचिव ने महिलाओं को प्राप्त निशुल्क विधिक सहायता के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस शिविर में राशिद अहमद डीईओ, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पराविधिक स्वयं सेवक बुद्धराज, श्रीधर व तहसील बबेरु के कर्मचारी व अधिवक्तागण के साथ श्रोतागण उपस्थित रहे।


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