रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा या सावन पूर्णिमा के दिन मनाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन मनाना अच्छा होता है. इस समय में बहनों को अपनी भाइयों का राखी बांधनी चाहिए. इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, सावन सोमवार, सावन पूर्णिमा का व्रत और स्नान,सर्वार्थ सिद्धि योग,रवि योग,शोभन योग पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और इसका समापन 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया
जाएगा। भद्राकाल - रक्षाबंधन पर भद्रा सुबह में 05:53 ए एम से दोपहर 01:30 पी एम तक रहेगी भद्रा के समय में राखी बांधना शास्त्र सम्मत नहीं है । राखी बांधने का शुभ मुहूर्त आरंभ - दोपहर 01:30 के बाद राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समापन- रात्रि 08:52 तक अपराह्न काल रक्षा बन्धन के लिये प्रशस्त्र मन गया है अपराह्न का मुहूर्त - 01:30 दिन से 04:03 सांयकाल तक एवं रक्षा बन्धन के लिये प्रदोष काल का मुहूर्त - 06:39सांयकाल से 08:52 सांयकाल तक यह त्यौहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधे रखता है। इस दिन बहनें व्रत रखकर शुभ मुर्हूत में अपने भाई को राखी बांधती है और टीका लगाती है। भाई बहनों को रक्षा का वचन और उपहार देतें है। भगवान कृष्ण के एक बार हाथ में चोट लग गई थी, तो द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ में बंधा था।
श्री कृष्ण ने उसे रक्षा सूत्र मानते हुये कौरवों की सभा में द्रोपदी की लाज बचाई थी, रक्षाबंधन के समय बोले जाने वाला मंत्र- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे माचल माचल।।
ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र अलीगंज
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