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Tuesday, August 6, 2024

फाइलेरिया की दवा खाकर स्वयं व परिजनों को बीमारी से बचाएं : सीएमओ

सीफार के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर हुई मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला

10 अगस्त से दो सितम्बर तक चलेगा सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम

फतेहपुर, मो. शमशाद । मच्छरों के काटने से होने वाली फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर हम सभी को काटते हैं, इसलिए यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी के प्रभावित अंगों (हाथ-पैर, अंडकोष, स्तन) में इतनी सूजन आ जाती है कि वह अपनी दैनिक दिनचर्या भी नहीं कर पाता। यह बीमारी न हो इसके लिए 10 अगस्त से सामूहिक दवा सेवन ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। उक्त बातें मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राजीव नयन गिरि ने कही। मंगलवार को जनपद के एक स्थानीय होटल में फाइलेरिया आईडीए अभियान के संबंध में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी मीडिया बंधुओं से अपेक्षा किया कि विभिन्न संचार माध्यमों के जरिये फाइलेरिया मुक्त भारत का संदेश जन जन तक पहुंचाने में सहयोग करें। सीएमओ ने कहा कि 10 अगस्त से दो सितंबर तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल) अभियान जनपद के सभी ब्लॉक सहित शहरी क्षेत्र में चलने जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान में आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल तीन दवाओं की आयु के अनुसार निर्धारित खुराक खिलाई जाएगी। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। जिला मलेरिया अधिकारी कीर्ति रंजन ने जनसमुदाय से अपील किया कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। प्रत्येक टीम एक दिन में 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। उन्होंने बताया कि जनपद की 29 लाख 20 हज़ार लक्षित आबादी को आच्छादित करने के लिए 2525 टीम बनाई गई हैं।

मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित करते सीएमओ।

सुरक्षित व कारगर हैं दवाएं

सहयोगी संस्था पाथ के क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी डॉ रविराज चौहान ने बताया फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डबल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित हैं। यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं। कुछ लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के कुछ देर बाद सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं। इससे घबराना नहीं है। यह शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी के नष्ट होने की वजह से होता है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाता है। अगर किसी को ज्यादा दिक्कत हो तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।  


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