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Tuesday, August 20, 2024

पूर्व आरक्षण को बहाल रखने की बौद्ध महासभा ने उठाई मांग

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । भारतीय बौद्ध महासभा उप्र के जिलाध्यक्ष ज्ञानचन्द्र बौद्ध की अगुवाई में राष्ट्रपति सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम सदर को सौंपा। ज्ञापन में कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजातियों के उपवर्गीयकरण आरक्षण बाबत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त कराया जाये। मंगलवार को भारतीय बौद्ध महासभा के जिलाध्यक्ष ज्ञानचन्द्र बौद्ध की अगुवाई में बौद्धिष्ठों ने राष्ट्रपति सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम सदर सौरभ यादव को सौंपा। ज्ञापन में कहा कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को संवैधानिक अधिकार आरक्षण पर कुठाराघात कर सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमिलेयर व जातीय उपवर्गीकरण कर आरक्षण व्यवस्था करने का एक अगस्त को फैसला दिया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 व 16(4) के विरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट को अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के पहले से दिये आरक्षण में

एसडीएम को ज्ञापन सौंपते बौद्ध महासभा के लोग।

एडिशन डिलीशन एवं मोडिफिकेशन का संविधान में कोई अधिकार नहीं है। संविधान में आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए है। अभी एससी/एसटी आदिवासियों से छुआछूत, ऊंच-नीच, भेदभाव किया जाता है। एक अगस्त 2024 को आरक्षण के विरुद्ध क्रीमीलेयर व जातीय उपवर्गीयकरण बाबत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारतीय बौद्ध महासभा उप्र समेत लाखों संगठन व करोडों लोग में आक्रोश है। भारत बन्द जैसे आन्दोलन लोग कर रहे हैं। मांग किया कि क्रीमीलेयर व जातीय उपवर्गीयकरण बाबत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने को देश की संसद विशेष अधिवेशन में आरक्षण पहले की भांति रखने व संविधान की नांैवी अनुसूची में शामिल कराने का आदेश जारी रखा जाये। इस मौके पर भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष गया प्रसाद बौद्ध, शंकरदीन, विजय कुमार, शिवशंकर विद्यार्थी, विनोद कुमार, श्रवण कुमार, रामशरण, रामबरन, वीरेन्द्र, आलोक बौद्ध, अजय पाल व भइयालाल आदि मौजूद रहे।


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