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Sunday, November 17, 2024

कथा के तृतीय दिवस अश्वत्थामा की मृत्यु की सुनाई कथा

आज श्रीकृष्ण जन्म की आचार्य सुनाएंगे कथा

फतेहपुर, मो. शमशाद खान । शहर के अशोकनगर धान मिल में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर परमपूज्य गुरू जी डा0 विद्यासागर शुक्ल ने महाभारत की कथा का वर्णन करते हुए अश्वत्थामा की मृत्यु की कथा सुनाई। जिसे सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए। डा0 विद्यसागर शुक्ल ने कथा सुनाते हुए कहा कि अश्वत्थामा, गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। अश्वत्थामा के माथे पर जन्मजात मणि थी। पांडवों के पुत्रों को सोते समय मारने के दंडस्वरूप अर्जुन ने अश्वत्थामा के माथे से मणि निकाल दी थी। महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों और राजा द्रुपद के बेटे ध्रष्टद्युम्न की हत्या कर दी थी। अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया

कथा में प्रवचन करते आचार्य एवं रसपान करते श्रोतागण।

था, लेकिन श्रीकृष्ण ने गर्भ में पहुंचकर उनकी जान बचा ली थी। युद्ध के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों से बदला लेने की योजना बनाई थी। श्रीकृष्ण ने गुस्से में आकर अश्वत्थामा को चिरकाल तक धरती पर कोढ़ी बनकर भटकने का श्राप दिया था। कहा जाता है कि इस श्राप की वजह से ही अश्वत्थामा कलयुग में भी भटक रहा है और उसके शरीर रक्त की दुर्गंध आती रहती है। आयोजक श्रीमती अनामिका शुक्ला ने व्यास पूजन किया। समस्त श्रोताओं व शहरवासियों का स्वागत व अभिनंदन किया। यह भी बताया कि कल (आज) श्रीकृष्ण जन्म की कथा होगी। अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालु कथा का लाभ उठाएं। 


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