मऊ/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले के मऊ तहसील में रबी की फसल बुवाई को किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही है। अधिकांश सहकारी समितियों में डीएपी व एनपीके की किल्लत है। इससे किसानों में चिंता का माहौल है। कई केंद्रों पर ताले लटके हुए हैं और जो केंद्र खुलते हैं, वहां भी खाद नहीं मिल रही है। किसान हर दिन खाद के लिए समितियों में जाकर लौट रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार डीएपी खाद रबी की फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसों आदि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस समय डीएपी की कमी से किसानों को बुवाई में देरी हो रही है। इससे उनकी फसल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कई समितियों में केवल नैनो डीएपी उपलब्ध है, जिसे किसान लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। कर्वी गल्ला मंडी के दोनों केंद्रों में करीब 12 दिनों से डीएपी की आपूर्ति नहीं हुई है। इसके अलावा बरगढ़ व मऊ की सहकारी समितियों में भी खाद नहीं मिल रही है।
समितियों में लाइन में खडे किसान। |
किसानों ने कहा कि बाजार में नकली खाद की बिक्री बढ़ने का डर भी है। इससे किसान परेशान है। दूर-दूर से किसान खाद लेने को समितियों में आते हैं, लेकिन निराश होकर वापस लौट जाते हैं। रामनगर, हड़हा और गाहुर जैसे क्षेत्रों में भी खाद की कमी बनी हुई है। किसानों को लाइन में लगकर खाद मिलती है, लेकिन वह भी सीमित मात्रा में होती है। हड़हा के किसान निर्मल द्विवेदी ने बताया कि डीएपी के लिए उन्हें दूर-दूर से आना पड़ता है, लेकिन खाद नहीं मिलती। खोहर के किसान राम खेलावन तिवारी ने बताया कि डीएपी न मिलने से चना, मसूर और सरसों की बोआई में काफी देरी हो रही है। गोइयाकला के किसान शारदा प्रसाद ने भी खाद की कमी की समस्या बताई और कहा कि यह स्थिति अगर जल्दी सुधारी नहीं गई तो रबी की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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