खागा, फतेहपुर, मो. शमशाद खान । हथगाव विकास खंड के भैरमपुर गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा में अयोध्या से आये आचार्य श्री राम कृष्ण तिवारी ने रुक्मिणी व श्री कृष्ण के विवाह की कथा सुनाई। उन्होने कहा कि रुक्मिणी, विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं और उनका विवाह शिशुपाल से तय किया गया था लेकिन रुक्मिणी का हृदय श्री कृष्ण में बसा हुआ था और उन्होंने कृष्ण को अपना पति मान लिया था। रुक्मिणी ने कृष्ण को पत्र भेजकर अपनी इच्छा व्यक्त की और उन्हें अपनी सहायता का आह्वान किया। श्री कृष्ण ने रुक्मिणी के संदेश को समझा और विवाह के दिन रुक्मिणी को हरण करने के लिए विदर्भ पहुंचे। रुक्मिणी ने उन्हें कन्नी डालकर उनका स्वागत किया और कृष्ण ने शिशुपाल के विरोध को नकारते हुए रुक्मिणी को उठाकर द्वारका ले आए। यह कथा दर्शाती है कि
कथा में प्रवचन करते आचार्य श्रीराम कृष्ण तिवारी। |
भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और यह भी कि भक्ति और सच्ची श्रद्धा से भगवान तक पहुंचा जा सकता है चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। श्रीमद्भागवत कथा में श्री कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा एक बहुत ही रोमांचक और प्रेमपूर्ण कथा है। आचार्य जी जब इस कथा का वर्णन करते हैं, तो यह विशेष रूप से भक्तिरस से ओत-प्रोत होती है। इस कथा में आचार्य जी यह बताते हैं कि भगवान श्री कृष्ण अपनी भक्ति में लीन भक्तों की इच्छाओं का सम्मान करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। श्री कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह से यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति से भगवान को जीतने की कोई भी शक्ति नहीं होती।
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