जगह-जगह पर कलश यात्रा का किया गया स्वागत
नरैनी, के एस दुबे । श्रीमद्भागवत कथा शुभारंभ के पहले कस्बे में विशाल कलश यात्रा का आयोजन किया गया। कलश यात्रा ने कस्बे के विभिन्न मार्गों पर भ्रमण किया। लोगों ने जगह-जगह कलश यात्रा का स्वागत किया। श्रीमद् भागवत कथा के व्यास वाणी भूषण आचार्य पंडित राजेंद्र शास्त्री ने प्रथम दिवस की कथा प्रारंभ की। श्री आचार्य शास्त्री जी ने प्रथम दिवस में कलश यात्रा, गणेश पूजन, देव पूजन और भक्ति ज्ञान बैराग का वर्णन की कथा के माध्यम से आचार्य ने बताया की जीवन में यदि सच्ची भक्ति हो तो भगवान बिना बुलाए ही दौड़ कर आते हैं। श्रीमद भागवत् महापुराण को सुनने मात्र से पापों की भी मुक्ति हो जाती है, जिसने सत्य संकल्प लेकर यदि नियम पूर्वक भागवत की कथा श्रवण कर लेता है तो उसको मुक्ति में कोई संशय नहीं है। भगवन्नाम और भागवत आश्रय ही हमें भवसागर से पार करने का सबसे सरल साधन है संगीतमयी भागवत कथा सुन श्रोता गण सुमन , प्रकाश नारायण
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कलश यात्रा में शामिल महिलाएं भ्रमण करते हुए। |
गुप्त, क्रांति, संजय गुप्ता, रानी देवी , दिलीप गुप्ता, गोमती, रामबाबू, शिल्पी, प्रतीक,मनोज, प्रमोद गुप्ता समेत सैकड़ों लोगों ने कथा का रसपान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। इसी तरह बिसंडा के बबेरू रोड में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के दूसरे दिन आचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज ने ध्रुव चरित्र, अजामिल चरित्र की कथा का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि ब्रह्म, धर्म और शास्त्र का बल ही सच्चा बल है। जिसके पास ये नहीं, वह संसार में सबसे निर्बल है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अध्ययन से धर्म और ब्रह्म का बोध होता है, लेकिन बिना सद्गुरु के यह संभव नहीं। सद्गुरु के मार्गदर्शन से वेद-पुराणों का वास्तविक अर्थ समझा जा सकता है। उन्होंने श्रीमद्भागवत के प्रारंभिक तीन श्लोकों में ब्रह्म, धर्म और शास्त्र की महिमा बताई। कहा कि सद्गुरु की कृपा से भगवान की कथा प्राप्त होती है, जिससे हृदय निर्मल होकर भक्ति उत्पन्न होती है। उन्होंने नारद, वेदव्यास और परीक्षित का उदाहरण देते हुए सत्संग की महिमा बताई। कथा परीक्षित राजाराम साहू ने व्यासपीठ की आरती उतारी। इस मौके पर शिक्षक अजय साहू, नरेश गुप्ता, कन्हैया लाल, डॉ. मनोज के अलावा सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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