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Thursday, May 30, 2024

शोपीस बने ग्राम सचिवालय

कहीं लगा ताला, कहीं गंदगी का अंबार, कही नहीं है पंचायत सहायक

पहाड़ी/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही छत के नीचे सभी तरह की ऑनलाइन सुविधा मुहैया कराने को खोले गये ग्राम सचिवालय शोपीस बनकर रह गये हैं। इनमें न कोई बैठता है, न कोई कर्मचारी काम करता है। गुरुवार को ग्राम सचिवालय का खुलासा हुआ। बताया गया कि कई सचिवालय तो गंदगी से भरे पड़े हैं। वर्षों से साफ-सफाई नहीं हुई। पड़ताल में पता चला कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत चित्रकूटधाम मंडल के चारों जिले बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट में तकरीबन पचास करोड़ से अधिक खर्चकर 1403 में 1402 ग्राम सचिवालय बनवाये गये थे। लाखों-करोड़ों रुपये के कम्प्यूटर व अन्य उपकरण रखे गये थे। पंचायत सहायक की तैनाती की गई। जनसेवा केंद्र खोला गया, लेकिन यहां कुछ नहीं हो रहा। कम्प्यूटर धूल फांक रहे हैं। ग्रामीण पहले

 बन्द पडे ग्राम सचिवालय के बारे में बताता ग्रामीण।

की भांति अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए जिला या तहसील मुख्यालय की दौड़ लगा रहे हैं। पहाड़ी ब्लाक के दर्जनों गांव में आज भी ग्राम सचिवालय में कोई कार्य नहीं हो  रहा है। सचिवालय भवन की साफ-सफाई समय से न होने से गंदगी का अंबार लगा है। नियमतः है कि ग्राम पंचायत के सचिवालय में ग्रामीणों को सुविधा मिलनी चाहिए। ग्राम सचिवालय में एक मीटिंग हॉल, लेखपाल, सचिव कक्ष समेत अन्य सुविधायें दी गई हैं। सचिवालय में ग्रामीणों के लिए जनसेवा केंद्र भी खोला गया है। इसमें आय-जाति-निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, खसरा-खतौनी, बिजली बिल, परिवार रजिस्टर की नकल आदि देने की सुविधायें मिलती हैं। यहां सरकार ने कम्प्यूटर ऑपरेटर, पंचायत सहायक तैनात किये हैं। ग्राम सचिवालय में सोमवार से शनिवार तक लेखपाल, सचिव, आशा बहू, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संबंधित बीट के सिपाही समेत राजस्व विभाग के कर्मचारियों का सवेरे दस बजे से दोपहर 12 बजे तक बैठना अनिवार्य है, ताकि ग्रामीणों की हर समस्या का समाधान हो सके। गांव में होने वाले विभिन्न विवादों को भी यहां पुलिस समझौते से निपटाने की व्यवस्था है। धरातल पर सरकार की मंशा को सरकार के नुमाइंदे धूल में मिला रहे हैं। ब्लाक पहाड़ी के अधिकांश गांवों में बने सचिवालय महज शोपीस बनकर रह गये हैं। सचिवालय में होने वाले कार्य सचिवालय में नहीं हो रहे। ग्रामीणों को छोटे-छोटे कार्य के लिए विकासखंड मुख्यालय व तहसील के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस बाबत एडीओ पंचायत पहाड़ी कमल कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत का कार्यालय रोज खुलना चाहिए। यहां पर पंचायत सहायक की तैनाती है। अन्य कर्मचारियों के आने के दिन निश्चित हैं। ग्राम सचिवालय बंद रहते हैं तो जांच करायेंगे। दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी। ग्राम पंचायत जमहिल के ग्रामीणों की मानें तो विकासखंड पहाड़ी की अधिकांश ग्राम पंचायतों का ग्राम सचिवालय हमेशा बंद रहता है। जब कभी प्रधान-सचिव निजी काम को खोल लेते हैं। कोई कर्मचारी नहीं बैठता है। ग्रामीणों के आय-निवास समेत योजनाओं के आवेदनों को मुख्यालय जाना पड़ता है। ब्लाक पहाड़ी के जमहिल गांव के ग्रामीण माता प्रसाद, बोधीलाल, शिवपूजन ने कहा कि सचिवालय में ताला बंद रहता है। कोई कर्मचारी नहीं बैठता। कभी-कभार प्रधान व सचिव निजी काम से बैठ जाते हैं। कार्य होने के बाद बंदकर दिया जाता है। इस बाबत प्रधान हरिप्रसाद ने बताया कि ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक की छह माह से नियुक्ति नहीं है। पूर्व में ग्राम पंचायत अधिकारी रही प्रियवंदा पांडेय गांव के अभिलाष कुमार से कार्य कराती रही है, लेकिन जब से कमल कुमार की नियुक्ति हुई, तब से ग्राम पंचायत अधिकारी खुद गांव नहीं आते। न ही पंचायत सहायक से कार्य करवाते हैं। इससे ग्रामीणों को मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।


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