खागा/फतेहपुर, मो. शमशाद । लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, सरकार के पक्ष में तर्क गढ़ने वाले लोगों के पास राम मंदिर, बेहतर सड़कें राशन, प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आवास व किसान सम्मान निधि की धरोहर है। वहीं विपक्ष के साथ खड़े लोग जंगल के किनारे तारबंदी न होने, महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को उठा सरकार की कर प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। क्षेत्र में सियासी रंग गाढ़ा हो गया है। चौक चौराहों से लेकर खेत खलियान तक सिर्फ चुनाव की चर्चा है। चाय की चुस्कियां के साथ जीत हार के समीकरण बताए जा रहे हैं। चर्चा के बीच ही क्षेत्र में चीनी मिल का मुद्दा भी उछलता दिखाई पड़ रहा है। इस विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी माहौल का हाल जानने के लिए बाइक से निकले संवाददाता ने जब सच्चाई जानने का प्रयास किया तो सामने आया कि सुबह नौ बजे हैं कस्बे से छह किलोमीटर दूर कटोघन गांव में रोज की तरह ग्रामीण अपनी दिनचर्या में लगे हैं। चुनाव को लेकर यहां के लोगों की दिलचस्पी का अंदाजा लगाया गया तो देखा कि यहां के लोग चुनाव को लेकर काफी आतुर
दिखाई पड़ रहे थे। गांव के बाहर एक चाय की दुकान पर कुछ लोग चाय की चुस्की ले रहे थे। चर्चा के केंद्र बिंदु में लोकसभा चुनाव ही था। राष्ट्रीय स्तर पर हर रोज बन-बिगड़ रहे समीकरणों के साथ ही स्थानीय मुद्दे भी प्रभावित थे। ग्राहकों को चाय देकर कुर्सी पर आराम से बैठते हुए वीरेंद्र पूछ पड़ते हैं अबकी बार का हाल रही चुनाव का। चाय की पहले घूंट पी रहे ऑटो चालक कामता प्रसाद बोल पड़ते हैं चाचा माहौल कुछो रहे हम तो वोट मोदी का ही देबै। काहे से राशन, घर, शौचालय सब तो दिहिन हैं मोदी। कुछ देर सभी शांत रहते हैं तभी आंशू सिंह ने कहा कि ये सरकार मा जवन दुख ब किसानन से पूछौ। क्षेत्र के केहूं किसान अपने घर नाही सो पावत हैं। वहां से उठकर बाइक द्वारा कुछ देर बाद भादर चौराहे पर स्थित चाय की दुकान पर पहुंचे तो देखा कि गांव के लोगों का तन भले ही खेतों में हो मगर मन चुनावी बयार में रम रहा है। वहां देखा सबकी जुबान पर एक ही चर्चा है कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा, कौन किसे कितनी टक्कर कर दे रहा है, सब बहस में उलझे हैं और चुटकी भी ले रहे हैं। बीते पांच साल में किसे क्या मिला और आने वाले समय में क्या देने की बात हो रही है। राशन, पेंशन, आवास, सुरक्षा सम्मान निधि, क्षेत्रीय विकास चर्चा के केंद्र में हैं। इलेक्शन बाइक जब प्रेमनगर कस्बा पहुंची तो वहां एक दुकान में चौपाल लगी दिखाई दी। लोगों के बीच मुद्दों पर बात हो रही थी वहां बैठे धीरेंद्र कुमार कहने लगे कि इस सरकार मा नौजवान परेशान हैं बेरोजगारी भत्ता, समाजवादी पेंशन सब बंद हो गई है। पांच किलो राशन से क्या होने वाला है, महंगाई इतनी बढ़ गई है कि कमाना खाना मुश्किल होई रहा है। इतने में हसनपुर कसार निवासी नीरज त्रिवेदी बोले कि कवनों महंगाई नाहीं हवै। जब आमदनी बढ़ी तो सामान का महंगा होना स्वाभाविक होई। कुछ दूर आगे जाने पर अफोई चौराहे पर चाय की दुकान पर भी चुनावी रंग चढ़ा था। वहां बैठे रामपुर गांव निवासी देवेंद्र सिंह ने बताया कि दो पंचवर्षीय बीतने के बाद भी आज तक कभी मंत्री जी यहां दिखाई नहीं दिएन। आज तक यहां कोई भी विकास का काम नहीं होई पावा है। हम तो बीजेपी का वोट ना देबै। तभी वहां बैठे उदय सिंह यादव ने थोड़ा चुप रहने के बाद समर्थन करते हुए कहा कि क्षेत्र में सैकड़ो बीघा महन्ना ऊसर पड़ा है वहां कोई भी कंपनी व चीनी मील लगाई जा सकत है। जिससे लोगों को मजदूरी के लिए अन्य शहरों में धक्के ना खाए का पड़ी। लेकिन आज तक नेता चीनी मील का वादा पूरा नहीं करेन बस वोट भर मांगत हवैं।
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