बसपा के बाद सपा ने भी उतार दिया है कुर्मी बिरादरी का प्रत्याशी
भाजपा प्रत्याशी के पास निषाद बिरादरी का फिलहाल एकमुश्त वोट
फतेहपुर, मो. शमशाद । फतेहपुर संसदीय चुनाव का चुनाव अखाङा सजना शुरू हो चुका है। भाजपा ने दो बार से इस सीट की सांसद व निषाद बिरादरी की साध्वी निरंजन ज्योति को उतारा है तो बसपा के बाद सपा ने भी कुर्मी बिरादरी से अपना उम्मीदवार उतार दिया है। चूंकि, इस सीट पर पिछङी जाति का मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करता चला आ रहा है और इस फेहरिस्त में कुर्मी बिरादरी का रोल अहम रहता चला आ रहा है। दरअसल, इस कौम के वोट बैंक का लाभ भाजपा को भी मिलता चला आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विपक्ष, साध्वी की हैट्रिक रोक पाने में कामयाब होगा क्योंकि पिलहाल की तस्वीर में भाजपा प्रत्याशी, जातीय आधार पर इन दोनों उम्मीदवारों से 20 नजर आ रही है क्योंकि निषाद अभी तक एकजुट नजर आ रहा है।
इस सीट पर पहला चुनाव 1957 में कांग्रेस के अंसार हरवानी ने जीता था। 1962 के चुनाव में निर्दल उम्मीदवार गौरी शंकर ने विजय हासिल की। 1967 व 1971 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के संत बख्श सिंह चुनाव जीते थे। 1977 में जनता पार्टी के बशीर अहमद व 1978 के उपचुनाव में जनता दल के लियाकत हुसैन ने सीट जीती। इसके बाद1980 व 1984 के चुनाव में कांग्रेस के हरि कृष्ण शास्त्री ने विजय हासिल की। इसके बाद जनता दल की आंधी चली और 1989 व 1991 के चुनाव में यहां से राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री तक बने। इसके बाद 1996 के चुनाव में बसपा के विशंभर प्रसाद निषाद ने जीत हासिल की। 1998 के चुनाव में भाजपा के अशोक पटेल विजयी हुए। इसके बाद 1999 के चुनाव में भी यही जीते। 2004 के चुनाव में बसपा के महेंद्र प्रसाद निषाद को यहां की जनता ने चुनाव जितवा कर संसद भेजा। 2009 कि चुनाव में सपा के राकेश सचान चुनाव जीत। इसके बाद दो बार से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। वर्ष 2014 व 2019 में चुनाव जीतने वाली साध्वी को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। वीपी सिंह की लहर के बाद से इस सीट पर पिछङी जाति का ही कब्जा रहा है। यही कारण रहा है कि हरेक पार्टी इस सीट पर ओबीसी कंडीडेट को वरीयता देती चली आ रही है। ऐसा इस बार भी किया गया है। भाजपा ने निषाद बिरादरी को उतारा है जबकि सपा व बसपा ने कुर्मी बिरादरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इंडिया गठबंधन से सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल चुनाव लङ रहे हैं जबकि बसपा से डॉक्टर मनीष सचान मैदान में हैं। ऐसे हालात में मौजूदा वक्त कुर्मी मतदाता उहापोह मेंं नजर आ रहा हैं। इंडी कंडीडेट का जिले से करीबी नाता है जो बिंदकी तहसील क्षेत्र के रहने वाले हैं। इसका उन्हें लाभ मिलना तय है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि यह मतदाता वर्ग भाजपा के साथ नहीं। कांग्रेस का यकीनन वजूद इस वक्त नहीं है लेकिन रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लङने से कांग्रेसी भी अपनी सीट के अच्छे विकास की उम्मीद लगाने लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या साध्वी की राह रोकने में विपक्ष कामयाब होगा।
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