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Saturday, June 1, 2024

आठ सूत्रीय मांगों को लेकर मुखर हुए प्रधान

सीएम को भेजा ज्ञापन

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । प्रधान संघ जिलाध्यक्ष सुनील शुक्ला की अगुवाई में लामबन्द प्रधानों ने एडीएम न्यायिक राजेश कुमार को सौंपे ज्ञापन में कहा कि 15 दिसंबर 2021 को प्रदेश के प्रधानों को मुख्यमंत्री ने बुलाकर कई घोषणायें की थी। जिन पर अमल करना दूर, गांवों को प्रयोगशाला बनाकर नए-नए शासनादेश जारी कर विकास कार्यों में अवरोध पैदा किया जा रहा है। शनिवार को प्रधान संघ जिलाध्यक्ष सुनील शुक्ला की अगुवाई में प्रधानों का जत्था कलेक्टेªट पहुंचा। यहां एडीएम न्यायिक राजेश कुमार को सौंपे ज्ञापन में कहा कि तीसरी सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधियों में सरकार के प्रति असंतोष बढ़ रहा है, जिसे रोकना आवश्यक है। सहायक सचिव कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, शौचालय केयरटेकर, प्रधान के मानदेय की व्यवस्था राज्य सरकार ने अलग से करने का वायदा किया था। तत्काल अमल कर रजिस्टर्ड डिप्लोमा होल्डर अथवा जिले में नियुक्त तकनीकी सहायक से स्टीमेट बनवाने की छूट का प्राविधान का भरोसा दिया था। इस पर अमल किया जाये। प्रधानों, बीडीसी व डीडीसी की सहभागिता में पंचायतों से जुड़ी समस्याओं के समाधान को जिला स्तर पर माह में एक बार डीएम-एसपी की अध्यक्षता में पंचायत

एडीएम न्यायिक को ज्ञापन सौंपते प्रधान।

दिवस मनाने का वायदा किया था। यथाशीघ्र क्रियान्वयन किया जाये। जिला योजना समिति में प्रधानों को प्रतिनिधित्व देने का वायदा किया था। अभिनव प्रयोग करते हुए निदेशक पंचायतीराज ने मानदेय पर नियुक्त अप्रशिक्षित पंचायत सहायक/एकाउंटेंट कम डाटा एंट्री आपरेटर को पंचायत गेट-वे साफ्टवेयर को एकीकृत करते हुए पंजीकृत मोबाइल से पंचायत सचिवालय में स्थापित कम्प्यूटर सिस्टम से भुगतान को अधिकृत कर दिया गया। बिना किसी तकनीकी प्रशिक्षण व क्षमता आंकलन किये, उन्हें सत्यापन का अधिकार दे दिया गया है। विकास कार्य में बाधक अव्यवहारिक आदेश को वापस लिया जाए। इस दौरान ब्लाक अध्यक्ष कर्वी विष्णुकांत पांडेय, गोविंद निषाद, प्रदीप सिंह, कमल यादव, लवलेश निषाद, निहारिका सिंह, विक्की सिंह, विपिन मिश्रा, विनोद त्रिपाठी, बीटू शुक्ला, हेम सिंह, विद्यासागर, प्रमोद कुमार, धीरेन्द्र कुमार, अरिमर्दन सिंह, जहूर अली, यूसुफ अली आदि मौजूद रहे।

प्रधानों की मांगें

चित्रकूट। 237 रुपये रोजाना की मजदूरी पर मजदूर काम करने को तैयार नहीं है। इसे बढ़ाकर चार सौ रुपये प्रतिदिन किया जाए। वर्ष 1993 में पारित 73वें संविधान संशोधन विधेयक के तहत 29 विषय व उनसे जुड़े अधिकार, कोष, कार्य व पंचायत कर्मियों को पंचायतों को सौंपकर सत्ता विकेंद्रीकरण की आदर्श व्यवस्था लागू की जाये। राज्यवित्त आयोग व प्रशासनिक सुधार आयोग की समस्त प्रमुख सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू किया जाये। प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों व जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा को शस्त्र लाइसेंस जारी करने में प्राथमिकता दी जाये। प्रधानों व सभी त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध अभियोग दर्ज करने से पूर्व उपनिदेशक पंचायतीराज से अनुमति का प्राविधान किया जाये। बिना शपथ पत्र के प्रधानों की जांच न करायी जाये। झूंठी शिकायत मिलने पर शिकायतकर्ता के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अनिवार्य की जाये। गांव के विकास को सरकार टैक्स आदि से प्राप्त राजस्व का 70 फीसदी ग्राम पंचायतों को दिया जाये। पंचायत से जुड़े राजस्वकर्मी, पंचायतकर्मी, आंगनबाड़ी, राशन कोटेदार व प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों की उपस्थिति कार्य प्रमाणन, निलंबन की संस्तुति समेत सभी मामलों में पंचायतों को पूर्ण अधिकार दिया जाये।


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