महिला महाविद्यालय में आईपीआर पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन - Amja Bharat

Amja Bharat

All Media and Journalist Association

Breaking

Sunday, June 9, 2024

महिला महाविद्यालय में आईपीआर पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

विभिन्न पहलुओं, उभरते मुद्दों व पारंपिक ज्ञान की सुरक्षा के महत्व पर किया जागरूक

फतेहपुर, मो. शमशाद । डा. भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग ने रविवार को बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य संकाय सदस्यों को विभिन्न पहलुओं, उभरते मुद्दों व पारंपिक ज्ञान की सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करना था। कार्यशाला का उद्घाटन प्राचार्य प्रो. सरिता गुप्ता ने किया। उन्होने अकादमिक और अनुसंधान में बौद्धिक संपदा अधिकारों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। उन्होने नवाचारों की सुरक्षा और अकादमिक समुदाय में जिम्मेदारी से योगदान देने के लिए शिक्षकों और शोधकर्ताओं को सजगता की आवश्यकता को रेखांकित किया। डा. अभिषेक कुमार तिवारी ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में समकालीन मुद्दों और चुनौतियों पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण प्रस्तुति के साथ कार्यशाला की शुरूआत की। उन्होने आईपीआर कानूनों के विकास,

आईपीआर की राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते वक्ता।

शोधकर्ताओं पर प्रभाव और इन अधिकारों को लागू करने में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की। डा. तिवारी ने बौद्धिक संपदा विवादों के महत्वपूर्ण कानूनी और आर्थिक परिणामों वाले मामलों को उजागर किया। जिससे शिक्षाविदों में जागरूकता और तैयारी की आवश्यकता को रेखांकित किया। उनके व्याख्यान ने आईपीआर के गतिशील परिदृष्यट का व्यापक अवलोकन प्रदान किया। जिससे निरंतर सीखने और अनुकूल की आवश्यकता पर जोर दिया। दूसरा सत्र डा. हरिवंश सिंह के संचालित पारंपरिक ज्ञान के अंतर्सबंध पर केंद्रित था। डा. सिंह ने पारंपिक ज्ञान की सुरक्षा में नैतिक दुविधाओं और कानूनी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। डा. आलोक कुमार यादव का सत्र अत्यधिक व्यवहारिक था। अंतिम सत्र डा. कपिंदर ने प्रस्तुत किया। उन्होने भौगोलिक संकेतों और भारतीय संदर्भ में उनके महत्व पर प्रकाश डाला। डा. कपिंदर ने समझाया कि कैसे जीआईएस उन उत्पादों की रक्षा करने का उपकरण है जो एक विशिष्ट भौगोलिक मूल के होते हैं और उस मूल के कारण गुण या प्रतिष्ठा रखते हैं। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. सरिता गुप्ता ने कहा कि भारतीय पारंपरिक ज्ञान विश्व में प्रतिष्ठित रहा है लेकिन आईपीआर की जागरूकता के अभाव में कई वस्तुओं और अनुसंधानों का पेटेंट विकसित देशों ने कर लिया। अब हमें आवश्यकता है कि अपने ज्ञान और अनुसंधान की रक्षा करें। संचालन डा. प्रशांत द्विवेदी व धन्यवाद डा. अजय कुमार ने किया। 


No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages