मानिकपुर/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य नवलेश दीक्षित ने धु्रव चरित्र, भरत चरित्र की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जिनके जीवन में महादेव की भक्ति नहीं, उसके ऊपर श्रीराम-कृष्ण का सानिध्य असंभव है। रविवार को मानिकपुुर कस्बे में चल रही भागवत कथा में भागवताचार्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि परमात्मा परिश्रम साध्य नहीं कृपा साध्य है। इसलिए भगवान शिव और राम की भक्ति में भेद नहीं करना चाहिए। हरि-हर एक है। संत महापुरुष कहते है इसी कारण चित्रकूट परिक्रमा क्षेत्र में एक जगह ऐसी है जो शिवरामपुर है। जो
कथा व्यास नवलेश दीक्षित। |
शिव और राम का है। मडफा पर्वत पर ही पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव ने संसार की रक्षा के लिए भयंकर हलाहल विष का पान किया था। उस विष का इतना तीक्ष्ण आवेश होने के कारण तांडव नृत्य किया। जिनका शरीर आज भी पसीने से भीगा रहता है। सभी जीवो के उद्धार एवं करुणा के लिए करुणावतार भगवान शिव हैं। सनातन धर्मावलंबियों को वर्ष में एक उत्सव जरूर मनाना चाहिए। बताया कि भक्त धु्रव की भक्ति देखकर हरि की कृपा मिली। इसी प्रकार भरत की महिमा है। इस मौके पर मुख्य यजमान फूलमती देवी, संतोष कुशवाहा, विनोद कुमार द्विवेदी सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे। आरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया।
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