चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जनपद न्यायाधीश विकास कुमार प्रथम की अध्यक्षता में बाल दिवस के मौके पर राजकीय सम्प्रेक्षण गृह (किशोर) व बालिका इंटर कालेज मऊ में राष्ट्रीय विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर का आयोजन हुआ। गुरुवार को साक्षरता व जागरूकता शिविर में जनपद न्यायाधीश ने बाल अपचारियों को बताया कि हर साल 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में बाल दिवस मनाया जाता है। बच्चों और उनकी मासूमियत का सम्मान करने के लिए, बाल दिवस पर स्कूलों, कालेजों व अन्य संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। माता-पिता अपने बच्चों के साथ प्यार और स्नेह के साथ बाल दिवस मनाते हैं। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी राममणि पाठक ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू बच्चों के अधिकारों और ऐसी शिक्षा प्रणाली के हिमायती थे, जो सभी के लिए ज्ञान सुलभ बना
बालिका को सम्मानित करते जिला जज। |
रही है। उनका ध्यान देश के शैक्षिक बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित था। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अपर जिला जज नीलू मैनवाल ने बताया कि बच्चों के कल्याण के प्रति नेहरू की प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। ये दिन शिक्षा, पोषण और सुरक्षात्मक वातावरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुरक्षित, स्वस्थ बचपन सुनिश्चित करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। यह बच्चों के पालन-पोषण के महत्व पर जोर देता है, जो दुनिया के भविष्य के नेता है। इस मौके पर किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट अंजलिका प्रियदर्शिनी, जिला प्रोबेशन अधिकारी पंकज मिश्रा, राजकीय सम्प्रेक्षण गृह अधीक्षक बीर सिंह आदि मौजूद रहे। इसी क्रम में बालिका इंटर कालेज मऊ में आयोजित विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर की अध्यक्षता करते हुए जनपद न्यायाधीश ने बताया कि पं जवाहरलाल नेहरू बेटियों की शिक्षा के लिये समर्पित थे। इसका उदाहरण उनके जीवन से ही मिलता है कि उन्होंने अपनी एक मात्र पुत्री इन्दिरा गांधी को इस तरह शिक्षा दीक्षा दिलायी कि यह आगे चलकर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुयी। वर्तमान समय में शासन एवं सरकार ने बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत सी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जिसमें से एक प्रमुख बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ है। इस दौरान उन्होंने होनहार बालिकाओं को सम्मानित भी किया।
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