देवेश प्रताप सिंह राठौर,
वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश झांसी क्रांतिकारी पदचिह्नों पर साइकिल यात्रा का गौरवशाली द्वितीय दिवस: ऐतिहासिक गढ़कुंढार किले की यात्रा, नुक्कड़ नाटक एवं जन जागरूकता अभियान बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी द्वारा आयोजित चार दिवसीय ऐतिहासिक साइकिल यात्रा के द्वितीय दिवस पर प्रतिभागियों ने लगभग 37 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण यात्रा कर गढ़कुंढार किले तक का सफर तय किया। यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण का माध्यम थी, बल्कि इसका प्रमुख उद्देश्य युवाओं को अपनी संस्कृति, इतिहास और सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक करना था। इस यात्रा के दौरान राष्ट्रीय एकता, अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने वाले कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस यात्रा में अनेक शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिन्होंने इतिहास को न केवल पढ़ने, बल्कि उसे महसूस करने और उससे सीखने का प्रयास किया। साइकिल यात्रा का शुभारंभ सुबह मैथिलीशरण गुप्त डिग्री कॉलेज ,चिरगांव से हुआ, जहां सभी प्रतिभागियों ने यात्रा के अगले पड़ाव की ओर प्रस्थान किया। यात्रा का अगला पड़ाव फ्यूचर कुल डिग्री कॉलेज, धामना खुर्द रहा, जहां कॉलेज के निदेशक श्री बृजेंद्र यादव ने सभी प्रतिभागियों का पुष्प वर्षा से भव्य स्वागत किया। इसके पश्चात आईक्यूएसी निदेशक प्रो. सुनील काबिया एवं उनकी टीम का सम्मान किया गया। आईक्यूएसी निदेशक ने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए इस यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह केवल भौगोलिक यात्रा नहीं, बल्कि संस्कार और ऐतिहासिक धरोहरों से जुड़ने की यात्रा भी है।
कॉलेज के निदेशक श्री बृजेंद्र यादव ने प्रतिभागियों को रिफ्रेशमेंट एवं अपने कॉलेज की टी-शर्ट प्रदान कर प्रोत्साहित किया। इसके पश्चात यात्रा अगले ग्राम पंचायत क्षेत्र में पहुंची, जहां ग्राम प्रधान ने सभी साइकिल यात्रियों का स्वागत किया और जलपान स्वरूप फल एवं पानी की बोतलें वितरित कीं। स्थानीय नागरिकों ने भी इस पहल की सराहना की और यात्रा के संदेशों को आत्मसात करने का वचन दिया। लंबी यात्रा के बाद सभी प्रतिभागी गढ़कुंढार किले पहुंचे, जहां मुख्य अतिथि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडे एवं रजिस्ट्रार श्री विनय सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही। माननीय कुलपति, कुलसचिव एवं प्रोफेसर सुनील काबीया ने सर्वप्रथम महाराजा खेत सिंह खंगार की मूर्ति एवं जौहर स्मारक पर पुष्प अर्पित किए। आज के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि 56 एनसीसी बटालियन, झांसी के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल प्रशांत कक्कर, प्रशासनिक अधिकारी कर्नल अंशुमन सक्सेना, सुबेदार मेजर ओमबीर यात्रा संयोजक प्रो. सुनील काबिया ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और इस ऐतिहासिक यात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा "इतिहास को केवल पुस्तकों में पढ़ना पर्याप्त नहीं है। हमें इसे अनुभव करना चाहिए, इसे जीना चाहिए। यह साइकिल यात्रा केवल एक ऐतिहासिक भ्रमण नहीं, बल्कि युवाओं को उनकी संस्कृति, समाज और राष्ट्र के प्रति जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडे ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा "इतिहास हमें केवल अतीत की घटनाओं को स्मरण करने के लिए नहीं, बल्कि उससे सीखकर भविष्य को संवारने के लिए प्रेरित करता है। इस साइकिल यात्रा के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को उनके गौरवशाली अतीत से जोड़ रहे हैं, ताकि वे अपनी संस्कृति और धरोहरों के संरक्षण के लिए आगे बढ़ सकें।"
कर्नल प्रशांत कक्कर ने प्रतिभागियों को अनुशासन और टीम वर्क के महत्व को समझाया, जबकि कर्नल अंशुमन सक्सेना एडम ऑफिसर ने राष्ट्रप्रेम और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में इस पहल को सराहनीय बताया। रजिस्ट्रार श्री विनय सिंह ने कहा "ऐसी यात्राएं युवाओं को आत्मनिर्भरता और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करती हैं। यह यात्रा हमारे अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की सीख देती है। विश्वविद्यालय इस तरह के प्रयासों को आगे भी प्रोत्साहित करता रहेगा।" गढ़कुंढार किले की यात्रा के बाद सभी प्रतिभागियों और अतिथियों ने माँ गिद्धवाहिनी मंदिर में दर्शन किए और समस्त समाज की उन्नति, राष्ट्र के विकास तथा यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना की। मंदिर के दर्शन से सभी को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हुई।
साइकिल यात्रा के दौरान प्रतिभागियों ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए, जिनमें शामिल थे दहेज मुक्ति अभियान – समाज में व्याप्त इस कुरीति के खिलाफ संदेश दिया। राजभवन में सम्मानित छात्रों ने भी अपने विचार सब के साथ साझा किए। छात्र छात्राओं ने पर्यावरण एवं जल जीवन मिशन, जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा का महत्व बताया। अपनी धरोहर, अपनी पहचान , ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर जोर दिया। स्वच्छता अभियान ,स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। डिजिटल इंडिया अभियान डिजिटल साक्षरता और तकनीक के उपयोग पर प्रकाश डाला। साइबर फ्रॉड और डिजिटल ठगी से बचाव – साइबर अपराधों से बचने और डिजिटल सुरक्षा पर जागरूकता फैलाई।
सतत विकास लक्ष्य और विकसित भारत उन्नत भारत देश के सतत विकास और समृद्ध भविष्य के लिए सामूहिक योगदान की अपील की। इस ऐतिहासिक यात्रा में विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आईक्यूएसी निदेशक प्रो. सुनील काबिया ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा "यह यात्रा केवल भौतिक दूरी तय करने की पहल नहीं, बल्कि मानसिक और सांस्कृतिक यात्रा भी है, जो प्रतिभागियों को उनके अतीत से जोड़ती है। विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह के आयोजन युवाओं को राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने का सशक्त माध्यम हैं।" उन्होंने विशेष रूप से कुलपति प्रो. मुकेश पांडे, कर्नल प्रशांत कक्कर, कर्नल प्रशांत सक्सेना, रजिस्ट्रार श्री विनय सिंह और अन्य सभी अतिथियों को उनके प्रेरणादायक शब्दों और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। इस यात्रा ने ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण एवं सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने की दिशा में एक नया मानदंड स्थापित किया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के श्री अनिल बोहरे, डॉ. अतुल प्रकाश, डॉ. संदीप सिंह डॉ. दीपक तोमर, हेमंत चन्द्रा, हितिका यादव, प्रियल, शशांक , अंजुल यादव, अनिकेत खटीक, सोनू रावत,डॉ. नूपुर गौतम, डॉ. ज्योति मिश्रा, डॉ. शैलेन्द्र तिवारी, जितेंद्र कुमार , मनोहर अंकित कचोरी आआदि उपस्थित रहे ।
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