दुआओं के लिए नमाजियों के उठे हाथ, हाफिज का किया इस्तकबाल
फतेहपुर, मो. शमशाद । रमजान के मुबारक महीने में जहां रोजे रखना फर्ज है वहीं तरावीह सुनना सुन्नत है। इस सुन्नत पर मुस्लिम समुदाय के सभी लोग पालन करते हैं और सभी मस्जिदों में नमाज-ए-तरावीह रमजान का चांद दिखने के साथ ही शुरू हो जाती है। रमजान के महीने में अंसारगढ़ वाली मस्जिद की तरावीह में कुरआन मुकम्मल होने पर नमाजियों के हाथ जहां दुआओं के लिए उठे वहीं तरावीह सुनाने वाले हाफिज का फूलों का हार पहनाकर इस्तकबाल किया। शहर के अमरजई मुहल्ला स्थित अंसारगढ़ वाली मस्जिद में हाफिज कफील ने नमाज-ए-तरावीह में कुरआन मुकम्मल कराया। कुरआन मुकम्मल होने पर उपस्थित नमाजियों ने हाफिज का फूलों का हार पहनाकर
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हाफिज कफील को फूलों का हार पहनाकर इस्तकबाल करते नमाजी। |
इस्तकबाल किया। हाफिज कफील ने उपस्थित नमाजियों को तरावीह की अहमियत व कुरआन की फजीलत भी बयान की। उन्होने सभी मुसलमानों से आहवान किया कि रमजान के पूरे माह रोजे रखकर नमाज की पाबंदी भी करें। कुरआन मुकम्मल होने के बाद तरावीह की नमाज न छोड़ें बल्कि पूरे तीस दिनों तक नमाज-ए-तरावीह में शिरकत करें। मस्जिद के मुतवल्ली निसार अहमद ने बताया कि पहली रमजान से तराबीह शुरू हुई थी जिसमें पहला कुरआन मुकम्मल हो गया है। इस मौके पर नूरी मस्जिद के पेश इमाम शफात अली, रियाज अहमद, मोहम्मद हबीब, सलामत अली, मोहम्मद फरीद, कलीम अहमद, दौलत अली, मदार बक्श, शहंशाह सहित तमाम नमाजी मौजूद रहे।
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