मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम का जन्म चेत्र शुक्ल नवमी तिथि को मध्यान में गुरूवार को पुनर्वसु नक्षत्र कर्क लग्न में हुआ था। इस वर्ष नवमी तिथि 6 अप्रैल को है । भगवान विष्णु के 10 अवतारों मेें से 7वाँ अवतार राम जी का है। इस वर्ष राम नवमी 6 अप्रैल चैत्र शुक्ल नवमी को मनाई जायेगी। रामनवमी में पुरे दिन पुष्य नक्षत्र, रवि पुष्य योग, रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग, सुकर्मा योग जैसे प्रमुख शुभ संयोग बन रहे है। इस विशेष संयोग में भगवान राम की पूजा, सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, राम रक्षा स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है.वहीं ग्रहों में गुरु वृषभ राशि, शनि, शुक्र, सूर्य, बुध, राहु मीन राशि में और चंद्रमा, मंगल कर्क राशि में
मौजूद रहेंगे। रामनवमी पर इस तरह के शुभ संयोग में भगवान राम का जन्मोत्सव मानने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। श्री राम का जन्म हर्षाेल्लास के साथ मनाना चाहिये। घर-मन्दिर को बंदनवार, ध्वजा आदि से सजाना चाहिए। इस दिन व्रत रख कर प्रातःकाल भगवान राम के साथ सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का पूजन करना चाहिए। माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस की रचना भी श्री रामनवमी के दिन ही शुरु की थी भगवान राम के पूजन और मंत्र जाप से बुद्वि -विवेक, सुख-समृद्धि रोग निवारण शत्रु से मुक्ति और शक्ति व साहस प्राप्त होता है। इस व्रत के साथ ही बसंत नवरात्र समाप्त हो जाते है। श्री रामनवमी के दिन व्यापार, निवेश, संपत्ति, वाहन, स्वर्ण आभूषण खरीदने के लिए और धार्मिक अनुष्ठान व्यापारिक कार्य प्रारम्भ करने का और खाता पूजन लाभकारी रहेगा.। राम नवमी हेतु मध्यान पूजा मुर्हूत प्रातः 10ः53 से दिन 01ः24 तक शुभ है।
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