बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि: श्यामबिहारी गुप्ता - Amja Bharat

asd

All Media and Journalist Association

Monday, April 14, 2025

demo-image

बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को आत्मसात करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि: श्यामबिहारी गुप्ता

भारत रत्न बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का हुआ आयोजन

चित्र प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ 

 विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपने विचार किए साझा 

 राजभवन से पुरस्कृत विद्यार्थियों को किया गया सम्मानित, "अंधेर नगरी" नाटक के कलाकारों को मिला प्रमाण पत्र 

देवेश प्रताप सिंह राठौर

वरिष्ठ पत्रकार 

उत्तर प्रदेश, झांसी। "बाबासाहब डॉ. अंबेडकर ने हमें यह सिखाया है की समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा बहुत जरुरी है", यह विचार उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्यामबिहारी गुप्ता ने प्रकट किए। वह भारत रत्न बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। श्यामबिहारी गुप्ता ने कहा कि आज गांव गांव में बाबासाहब को याद किया जा रहा है। पहली बार केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा इतने वृहद स्तर पर अंबेडकर जी का जन्मदिन मनाया जा रहा है। यह दर्शाता है कि जल्द ही अंबेडकर जी का सपना पूरा होने वाला है। समाज की दूरियां खत्म हो रही हैं। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों से कहा कि सामाजिक दूरियों को खत्म करने के लिए हमें गांव का रुख करना होगा। बदलाव की यह कहानी गांव गांव में शुरू करनी होगी। इससे पूर्व अतिथियों द्वारा डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्यामबिहारी गुप्ता द्वारा बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। 

WhatsApp%20Image%202025-04-14%20at%2022.06.36


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने डॉ. अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दलितों शोषितों को आवाज देने का काम किया। आज देश का हर नागरिक भारत रत्न डॉ. अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेता है। उन्हें एक विशेष समुदाय से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उनका बनाया संविधान इस देश के हर नागरिक का है। उन्होंने सबसे ज्यादा काम छुआछूत को दूर करने का किया। उनके द्वारा आरक्षण की व्यवस्था को भी इसलिए लागू किया गया। डॉ. अंबेडकर ने जीवनपर्यंत वैचारिक भेद को दूर करने के लिए संघर्ष किया। आज के दिन हमें शपथ लेना चाहिए कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलते रहेंगे। बाबासाहब को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके द्वारा बनाई गई व्यवस्था का पालन करें। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर एस पी सिंह ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने समाज के एक बड़े तबके को मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने जिस संविधान का निर्माण किया वह इस काम को भलीभांति पूरा करता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सब उनके दिए गए विचारों का अनुसरण करें।


इस अवसर पर राजभवन द्वारा आयोजित भाषण प्रतियोगिता में पुरस्कृत विद्यार्थियों पीयूष कुमार, महक और कृष्णा ने बाबासाहब डॉ भीमराव अंबेडकर और विकसित भारत पर अपने विचार रखे। इसके साथ ही कई अन्य शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रोफेसर सी बी सिंह ने कहा कि बाबासाहब का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनके लिए उस समय में प्राइमरी से लेकर लन्दन तक से एम.ए, पी.एचडी करना कितना कठिन रहा होगा इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। हमें उनके संघर्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ.बिपिन प्रसाद ने कहा कि डॉ अंबेडकर जैसे महापुरुष को याद करते हुए हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि संसार में कोई भी महापुरुष जन्म से महान नहीं होता। महान होने के लिए कड़ी मेहनत और त्याग करना पड़ता है। यह बात हम गांधी, पटेल आदि के लिए भी कह सकते है। अपने ही लोगों के बीच में उपेक्षा के बावजूद उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर काम करने तक के सफर में डॉ. अंबेडकर ने बहुत सारे त्याग किए। उनके त्याग को हम नमन करते हैं और उनके जीवन से सीखने का प्रयास करते हैं। प्रोफेसर एम एम सिंह ने युवाओं से कहा कि अच्छी बातें करने के साथ ही अच्छे काम भी करने चाहिए। हम जितना बोलते हैं उसका कुछ प्रतिशत भी अपने जीवन में शामिल करें, तो बाबा साहेब का सपना जरूर पूरा होगा।

विश्वविद्यालय के सेवानिवृत कर्मचारी मणिलाल ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की गिनती विश्व के विद्वानों में छठवें स्थान पर होती है। उनके द्वारा देश को बहुत कुछ दिया गया है। हमें उनके विचारों पर चलकर उनका ऋण अदा करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर मुन्ना तिवारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर राज भवन द्वारा आयोजित भाषण प्रतियोगिता और युवा संसद में पुरस्कृत विद्यार्थियों पीयूष, महक और कृष्ण को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय की शोध छात्रा मंजरी श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नाटक "अंधेर नगरी" के कलाकारों को भी प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर प्रोफेसर डी.के. भट्ट, प्रोफेसर अपर्णा राज, प्रोफेसर प्रतीक अग्रवाल, प्रोफेसर देवेश निगम, प्रोफेसर आर.के. सैनी, प्रोफेसर पूनम पूरी, उप कुलसचिव सुनील सेन, उप कुलसचिव संतोष सिंह, डॉ. प्रशांत मिश्रा, डॉ. संतोष पांडेय, डॉ. श्वेता पाण्डेय, अनिल बोहरे, समेत कई शिक्षक कर्मचारी और विद्यार्थी मौजूद रहे।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages

Contact Form

Name

Email *

Message *